डुमरी खुर्द/चौरी चौरा/गोरखपुर।
तीन दिवसीय छठवें चौरी चौरा इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के आखिरी दिन ऐतिहासिक मैदान डुमरी खुर्द में आजादी आंदोलन के योद्धाओं को आदरांजलि दी गयी। इसी ऐतिहासिक मैदान पर नजर अली आखाड़ा चलाते थे और भगवान अहीर बड़ी तादाद में नौजवानों को सैनिक प्रशिक्षण देते थे।1फरवरी 1922 को सरेआम मुंडेरा बाजार में भगवान अहीर और उनके दो साथियों की पहले से चिढ़े दरोगा गुप्तेश्वर सिंह ने पीट-पीट कर लहूलुहान कर दिया।
सरेआम हुई अपने नेता की पिटाई और अपमान से आम जनमानस उबल पड़ा। डुमरी खुर्द के ऐतिहासिक मैदान में लोग जुटने लगे और 2 और 3 फरवरी को यहां बैठकों का दौर चलता रहा। आखिरकार 4 फरवरी 1922 की सुबह डुमरी खुर्द में जनसभा हुई जिसका उद्देश्य चौरी चौरा थाना जाकर दरोगा गुप्तेश्वर सिंह से भगवान अहीर को पीटने का कारण जानना था। लेकिन उप निरिक्षक द्वारा अकारण भीड़ पर गोली चलाने से दो सत्याग्रियों की मौत हो गयी। तब सत्याग्रहियों ने अपनी कार्यनीति में बदलाव करते हुए हिंसक रुख अख्तियार कर लिया। इस एक्शन से प्रभावित होकर संयुक्त प्रांत में हर कहीं जनता ने विद्रोह की शुरुआत कर दी। जिससे फिरंगी हुकुमत हैरत और सकते में आ गई पूरे इलाके को दमनजोन बना कर खूब उत्पीड़न किया गया।
गौरतलब है कि दोपहर बाद यहां जुटे आम आंदोलनकारियों के नेतृत्व में दो हजार से ज्यादा गांव वालो ने चौरी चौरा थाना घेर लिया। ब्रिटिश सत्ता के लंबे उत्पीड़न और अपमान की प्रतिक्रिया में थाना भवन में आग लगा दी। जिसमें छुपे हुए 24 सिपाही जलकर राख हो गए। चौरी चौरा प्रकरण में 273 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जबकि 54 फरार हो गए थे। इनमें से एक की मौत हो गई थी। 272 में से 228 पर मुकदमा चला, मुकदमें के दौरान 3 लोगों की मौत हो गई। जिससे 225 लोगों के खिलाफ ही फैसला आया। ‘किंग एंपायर बनाम अब्दुलाह अन्य’ के नाम मुकदमा चला था। लिहाजा अब्दुल्लाह के गांव में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन के बाद डुमरी खुर्द के मैदान में चौरी चौरा जन विद्रोह शताब्दी वर्ष पर सभी आंदोलनकारियों को शिद्दत से याद किया गया।
'अवाम का सिनेमा' के माध्यम से इन क्रंतिकारियो एवं इनकी कीर्ति को जनता के सम्मुख रखने के साथ ही अवाम के सिनेमा के बैनर तले डुमरी खुर्द के ऐतिहासिक मैदान में जहाँ से क्रांति की ज्वाला एक जुलुस के रूप में जली थी ,जिसने चौरी चौरा थाने छुपे में आतताई पुलिस वालों को जला कर खाक कर दिया इस क्रांति के महानायको को डुमरी खुर्द के मैदान में आदरांजलि दी गयी।
चौरी चौरा आंदोलन के केंद्र डुमरी खुर्द गांव के 36 आंदोलनकारियों पर मुकदमा चला था। आदरांजली कर्यक्रम में चौरी चौरा केस के नायक नज़र अली के वंशज कल्लन अहमद खान, चिनगी के वंशज कमला प्रसाद, पांचू के वंशज पारसनाथ, झकरी के वंशज बंधन प्रजापति, राम दत्त के वंशज श्री गौड़, मोहर के वंशज राम नरेश, राम शरण सिंह के वंशज राजू सिंह जियाउद्दीन, महावीर के चंद्रशेखर सिंह, त्रिवेणी के वंशज वीरेंद्र छेदी, बलदेव के वंशज अशोक, गौस अली के वंशज नियाजुद्दीन शेख, विक्रम अहीर के वंशज बृजराज यादव, सूर्यबली के वंशज भालचंद यादव आदि वंशज का सम्मान किया गया।
डुमरी खुर्द से गगनभेदी नारों के साथ मार्च करते हुए कारवां शहीद स्मारक चौरी चौरा पहुंचा। जहां जंग ए आजादी के मतवालों को सलामी दी गयी। इस दौरान चौरी चौरा इंटरनेशल फ़िल्म फेस्टिवल आयोजन समिति से जुड़े अविनाश गुप्ता, रुद्र प्रताप, धीरेंद्र प्रताप, हरगोविंद प्रवाह, संजू चौधरी, विजेंद्र अग्रहरी, शाह आलम, पारसनाथ मौर्या, पवन कुमार, मुकेश पासवान, प्रणय श्रीवास्तव, आकाश पासवान ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
बेहद शानदार रिपोर्टिंग 👍👍👍👍
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ।