शनिवार, 27 फ़रवरी 2021

भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद चन्द्रशेखर आजाद के 90 वां शहादत दिवस मना

मसकनवा-गोण्डा: भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी शहीद चन्द्रशेखर आजाद के 90 वां शहादत दिवस  मसकनवा बाजार के गौराचौकी मार्ग पर मनाया गया। इस अवसर पर शहीद चन्द्रशेखर आजाद की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर इंकलाब जिंदाबाद, शहीद चंद्रशेखर आजाद अमर रहे, शहीद तेरे अरमानों को मंजिल तक पहुचाएंगे के गगनभेदी नारे लगाए गये। इस अवसर पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता भारतीय किसान यूनियन के जिला सचिव दीपक जनवादी व भारत की जनवादी नौजवान सभा के जिलाध्यक्ष दुर्गा सिंह पटेल ने किया। गोष्ठी का संचालन कर रहे उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के जिला संयोजक खगेन्द्र जनवादी ने कहा कि अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है।चंद्रशेखर आजाद और उनके साथियों का सपना देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के साथ- साथ भारत को शोषण, गरीबी, साम्प्रदायिकता, जातिवाद सहित अन्य कुरीतियों से देश को आजादी दिलाना था।

 आज देश के सभी नौजवानों, छात्रों, मजदूरों, किसानों व प्रबुद्ध वर्ग के लोगों का कर्त्तव्य है कि वो शहीदों के सपनों के भारत का निर्माण करें। गोष्ठी को सुनील कुमार गौड़, लवकुश कुमार, संजय वर्मा, गिरजेश वर्मा, शहजाद अली, शिव कुमार चौधरी, पवन वर्मा, विनय कुमार, सौरभ जयसवाल आदि ने संबोधित किया।

सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

बीएस मेमोरियल वैदिक विद्यापीठ के प्रबंधक ने सभी छात्रों का 10 माह का फीस किया माफ़

मसकनवा-गोंडा: क्षेत्र के मसकनवा बाजार स्थिति बीएस मेमोरियल वैदिक विद्यापीठ विद्यालय ने कोरोना महामारी को देखते हुये विद्यालय के सभी छात्रों की 10 माह की फीस दस लाख पचास हजार रुपये माफ की है। विद्यालय के प्रबंधक मनमीत सिंह मिंटू सरदार ने बताया की विद्यालय में पढ़ रहे नर्सरी से कक्षा आठ तक 350 छात्र छात्राओं की अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 तक की सभी प्रकार का शुल्क न लेने का 
निर्णय विद्यालय प्रबंधतंत्र ने लिया है।विद्यालय द्वारा फीस माफ किये जाने से छात्रों व अभिभावकों ने खुशी व्यक्त किया।विद्यालय द्वारा फीस न लेने के निर्णय का स्वागत सुरेश शुक्ला, शैलेंद्र पांडेय, राममूरत वर्मा,राकेश वर्मा, कुलदीप पांडेय, आशीष सिंह, पवन गुप्ता,अमित यादव, संतोष कुमार आदि लोगों ने किया है।

रविवार, 21 फ़रवरी 2021

समाज सेविका रुचि मोदी ने छपिया थाना क्षेत्र के दो गाँवों में कच्ची अवैध शराब के कारोबार में लिप्त लोगों को गांव में जाकर किया जागरूक

मसकनवा(गोंडा) समाज सेविका रुचि मोदी ने रविवार को छपिया थाना क्षेत्र के दो गाँवों में कच्ची अवैध शराब के कारोबार में लिप्त लोगों को गांव में जाकर जागरूक किया ।समाज सेविका रुचि मोदी एस ओ संजय कुमार तोमर व चौकी प्रभारी अरुण रॉय के साथ दो गांवों में जा कर लोगों को इस धंधे से दूर रहने के लिए जागरूक कर शपथ दिलाई। सरकारी योजना से जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
रविवार को समाज सेविका ने पुलिस टीम के साथ भवाजितपुर व हथानिखास् गांव पहुंच कर गांव की महिलाओं और पुरुषों को इकट्ठा करके कच्ची शराब को न बनाने, न बेचने,न सेवन करने की अपील की।उन्होंने लोगों को सरकारी योजनाओं से जुड़ने के लिए प्रेरित किया और कहा कि गांवों उपायुक्त श्रम की टीम भेज कर मनरेगा जाबकार्ड बनवाकर सभी लोगों को कार्य दिलवाया जाएगा।इसके अतिरिक्त सरकारी योजना के तहत मोमबत्ती,अगर बत्ती,सिलाई कढ़ाई,मछली पालन,मुर्गा पालन,वृद्धा पेंशन,विधवा पेंशन आदि योजनाओं का लाभ दिलाया जाएगा।जिससे गंदे कार्यो से छुटकारा मिल सके।
 एसओ संजय कुमार तोमर लोगों को समझाया कि पुलिस के दंश से निजात पाने के लिए कच्ची शराब के कारोबार को छोड़कर सरकारी योजनाओं के साथ जुड़े।इस मौके पर बिटना देवी, बदामा, शीला, पूनम, माला, ज्ञान देवी, पूजा, सुमित्रा, पुष्पा, किस्मता , विद्यावती, सुशीला, अंजू रही।

गुरुवार, 18 फ़रवरी 2021

महुआ डाबर एक्शन’ के जनविद्रोहियों को 161 वां शहीद दिवस पर लोगों ने पेश की खिराज-ए-अकीदत


शहीद दिवस हर साल 18 फरवरी को मनाया जाता है.
 
शहीद दिवस के अवसर पर इतिहास कालखंड से भुला दिए गए महुआ डाबर एक्शन के रणबांकुरों को सलामी दी गई। क्रांतिवीर पिरईखां स्मृति समिति ने आयोजन कर जंग-ए-आजादी योद्धाओं को शिद्दत से याद किया।आजाद भारत में महुआ डाबर एक्शन के महानायकों को बिसरा दिया गया। देश की सरकारों ने महुआ डाबर के शहीदों की याद में न तो कोई स्मारक बनवाया और न ही स्थानीय जिला प्रशासन ने क्रांतिकारियों से जुड़े इस #गौरवशाली धरोहर को संरक्षित करने की कोई पहल की।  
आजादी आंदोलन में गुलामी की बेडियां तोड़ने और फिरंगियों से दो-दो हाथ करने के लिए यह पूरा इलाका एकजुट हो गया। धानेपुर_स्टेट पिरई खां के नेतृत्व में लाठी-डंडे, तलवार, फरसा, भाला, किर्च आदि लेकर यहां के रहवासियों की टुकड़ी ने मनोरमा नदी पार कर रहे अंग्रेज अफसरों पर 10 जून 1857 को धावा बोल दिया। जिसमें लेफ्टिनेंट लिंडसे, लेफ्टिनेंट थामस, लेफ्टिनेंट इंगलिश, लेफ्टिनेंट रिची, लेफ्टिनेंट काकल और सार्जेंट एडवर्ड की मौके पर मौत हो गई थी। तोपची सार्जेंट बुशर जान बचाकर भागने में सफल रहा। उसने ही घटना की जानकारी वरिष्ठ अफसरों को दी। इस क्रांतिकारी घटना से ब्रिटिश सरकार हिल गई। आखिरकार 20 जून 1857 को पूरे जिले में मार्शल ला लागू कर दिया गया था। 
3 जुलाई 1857 को बस्ती के कलक्टर पेपे विलियम्स ने घुड़सवार फौज की मदद से महुआ डाबर गांव को घेरवा लिया। घर-बार, खेती- बारी, रोजी- रोजगार सब आग के हवाले कर तहस- नहस कर दिया गया। इस गांव का नामो निशान मिटवा कर ‘गैरचिरागी’ घोषित कर दिया। यहां पर अंग्रेजो के चंगुल में आए निवासियों के सिर कलम कर दिए गए। इनके शवों के टुकड़े-टुकड़े करके दूर ले जाकर फेंक दिया गया। इतना ही नहीं अंग्रेज अफसरों की हत्या के अपराध में क्रांतिकारी नेताओं का भेद जानने के लिए भैरोपुर_गांव के गुलाम_खान तथा गुलजार_खान_पठान, नेहाल_खान_पठान, घीसा_खान_पठान व बदलूखान पठान महुआ डाबर से  क्रांतिकारियों को 18 फरवरी 1858 को सरेआम फांसी दे दी गई थी।
क्रांतिवीर पिरई ख़ाँ ने भूमिगत रहकर आजादी की मशाल को जलाए रखा
महुआ डाबर एक्शन के साथ देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले ज्ञात-अज्ञात बलिदानियों को खिराज-ए-अकीदत पेश करते हैं.

शनिवार, 6 फ़रवरी 2021

तहसील व ब्लाक मुख्यालय पर न ठहरने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को डीएम की चेतावनी,गायब मिले तो निश्चित होगी कार्यवाही

जनपद स्तरीय अधिकारियों को डीएम ने जारी किए निर्देश

गोण्डा: डीएम मार्कण्डेय शाही ने सभी जनपद स्तरीय अधिकारियों, उपजिलाधिकारियों एवं खण्ड विकास अधिकारियों को सख्ती हिदायत दी है कि वे अपने अधीन तहसील व ब्लाक स्तरीय कर्मचारियों को उनके तैनाती वाले मुख्यालय पर आवासित कराना सुनिश्चित करें तथा आदेश का अनुपालन न करने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के विरूद्ध एक्शन लें।
जिलाधिकारी ने बताया कि  सबडिवीजन व विकासखण्ड स्तरीय कार्यालयों का निरीक्षण कराने पर यह तथ्य प्रकाश में आया है कि कई कार्यालयों में तैनात अधिकारी व कर्मचारीगण अपनी तैनाती के मुख्यालय पर आवासित न रहकर अन्य स्थानों से आवागमन करते हैं जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि सभी अधिकारी एवं कर्मचारी अपनी तैनाती के मुख्यालय पर आवासित रहकर राजकीय कार्य सम्पादित करेंगे और यदि अवकाश पर अथवा अन्य किसी प्रयोजनवश मुख्यालय से बाहर जाना आवश्यक हो तो इस निमित्त सक्षम प्राधिकारी से स्टेशनलीव प्राप्त करना अनिवार्य होगा। परन्तु निरीक्षण में पाई गयी स्थिति से यह आभास मिलता है कि सबडिवीजन मुख्यालय एवं विकासखण्ड मुख्यालय पर संचालित अधिकांश शासकीय कार्यालयों में इन निर्देशों का सम्यक् रूप से अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
जिलाधिकारी ने गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए समस्त जनपद स्तरीय अधिकारियों कार्यालयाध्यक्षों को निर्देशित किया है कि उनके अधीनस्थ जो भी कार्यालय तहसील एवं विकासखण्ड मुख्यालय पर संचालित हैं, उनमें कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को तैनाती के मुख्यालय पर आवासित कराना सुनिश्चित करें। साथ ही साथ इस आशय का प्रमाणपत्र प्राप्त करें कि वह अपनी तैनाती के मुख्यालय पर आवासित हैं। जिलाधिककारी ने सभी जनपद स्तरीय अधिकारियों से इस बावत अनुपालन आख्या एक सप्ताह में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
जिलाधिकारी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि आगामी दिनों में यदि स्वयं उनके व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा तहसील तथा विकासखण्ड स्तरीय कार्यालयों के निरीक्षण एवं वहां तैनात कर्मचारियों के आवासित होने की स्थिति के सत्यापन में यदि अन्यथा स्थिति पाई जाती है तो न केवल अनधिकृत रूप से अनुपस्थित, मुख्यालय से पलायित रहने वाले अधिकारी व कर्मचारियों के विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी, बल्कि उनके जनपद स्तरीय नियंत्रक अधिकारियों का भी उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए कार्यवाही की जाएगीं ।

भारतीय किसान यूनियन, भारत की जनवादी नौजवान सभा के लोगाे ने दिया ज्ञापन

 मसकनवा-गोंडा: किसान विरोधी तीनों कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग को लेकर शनिवार को भारतीय किसान यूनियन, भारत की जनवादी नौजवान सभा, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के संयुक्त तत्वाधान में विकास खंड छपिया के भोपतपुर बाजार में प्रदर्शन कर 5 सूत्री मांग पत्र तहसीलदार मनकापुर मिश्रीलाल चौहान को सौंपा गया।महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित दिए गए मांग पत्र में किसान विरोधी तीनों काला किसी कानून तत्काल वापस लिए जाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देते हुए किसानों के लिए कृषि बिल में शामिल किए जाने, श्रम कानूनों में हुए संशोधनों को वापस लिए जाने, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी हाथों में बेचना बंद किए जाने सहित अन्य मांगे शामिल हैं।

        पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत संयुक्त आवाहन पर हो रहे प्रदर्शन को लेकर स्थानीय प्रशासन काफी चौकन्ना दिखा।सुबह से ही प्रदर्शन स्थल पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई व संगठन के पदाधिकारियों की घेराबंदी शुरू की गई। थाना अध्यक्ष छपिया से भारतीय किसान यूनियन, भारत की जनवादी नौजवान सभा, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों से वार्ता होने के बाद भोपतपुर बाजार में तहसीलदार मनकापुर मिश्रीलाल चौहान को ज्ञापन सौंपा गया। इस अवसर पर भारतीय किसान यूनियन के मंडल अध्यक्ष नौशाद खान, जिला अध्यक्ष दीपक वर्मा, भारत की जनवादी नौजवान सभा के जिला अध्यक्ष दुर्गा सिंह पटेल, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के जिला संयोजक खगेन्द्र जनवादी, मैनुद्दीन, सिराज अहमद, सतीश वर्मा, सुनील गौड़, शहजाद अली, गंगाराम भारती, गिरिजेश वर्मा, लवकुश कुमार, रंजीत भारती, अमित यादव,  राजेश कुमार, संवारे, राजकुमार विश्वकर्मा विनय कुमार सहित भारी संख्या में तीनों संगठन के पदाधिकारी कार्यकर्ता मौजूद रहे।

गुरुवार, 4 फ़रवरी 2021

तीन दिवसीय चौरी चौरा इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का हुआ समापन

डुमरी खुर्द/चौरी चौरा/गोरखपुर।

तीन दिवसीय छठवें चौरी चौरा इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के आखिरी दिन ऐतिहासिक मैदान डुमरी खुर्द में आजादी आंदोलन के योद्धाओं को आदरांजलि दी गयी। इसी ऐतिहासिक मैदान पर नजर अली आखाड़ा चलाते थे और भगवान अहीर बड़ी तादाद में नौजवानों को सैनिक प्रशिक्षण देते थे।1फरवरी 1922 को सरेआम मुंडेरा बाजार में भगवान अहीर और उनके दो साथियों की पहले से चिढ़े दरोगा गुप्तेश्वर सिंह ने पीट-पीट कर लहूलुहान कर दिया। 
सरेआम हुई अपने नेता की पिटाई और अपमान से आम जनमानस उबल पड़ा। डुमरी खुर्द के ऐतिहासिक मैदान में लोग जुटने लगे और 2 और 3 फरवरी को यहां बैठकों का दौर चलता रहा। आखिरकार 4 फरवरी 1922 की सुबह डुमरी खुर्द में जनसभा हुई जिसका उद्देश्य चौरी चौरा थाना जाकर दरोगा गुप्तेश्वर सिंह से भगवान अहीर को पीटने का कारण जानना था। लेकिन उप निरिक्षक द्वारा अकारण भीड़ पर गोली चलाने से दो सत्याग्रियों की मौत हो गयी। तब सत्याग्रहियों ने अपनी कार्यनीति में बदलाव करते हुए हिंसक रुख अख्तियार कर लिया। इस एक्शन से प्रभावित होकर संयुक्त प्रांत में हर कहीं जनता ने विद्रोह की शुरुआत कर दी। जिससे फिरंगी हुकुमत हैरत और सकते में आ गई पूरे इलाके को दमनजोन बना कर खूब उत्पीड़न किया गया।
गौरतलब है कि दोपहर बाद यहां जुटे आम आंदोलनकारियों के नेतृत्व में दो हजार से ज्यादा गांव वालो ने चौरी चौरा थाना घेर लिया। ब्रिटिश सत्ता के लंबे उत्पीड़न और अपमान की प्रतिक्रिया में थाना भवन में आग लगा दी। जिसमें छुपे हुए 24 सिपाही जलकर राख हो गए। चौरी चौरा प्रकरण में 273 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। जबकि 54 फरार हो गए थे। इनमें से एक की मौत हो गई थी। 272 में से 228 पर मुकदमा चला, मुकदमें के दौरान 3 लोगों की मौत हो गई। जिससे 225 लोगों के खिलाफ ही फैसला आया। ‘किंग एंपायर बनाम अब्दुलाह अन्य’ के नाम मुकदमा चला था। लिहाजा अब्दुल्लाह के गांव में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन के बाद डुमरी खुर्द के मैदान में चौरी चौरा जन विद्रोह शताब्दी वर्ष पर सभी आंदोलनकारियों को शिद्दत से याद किया गया। 
'अवाम का सिनेमा' के माध्यम से इन क्रंतिकारियो एवं इनकी कीर्ति को जनता के सम्मुख रखने के साथ ही अवाम के सिनेमा के बैनर तले  डुमरी खुर्द के ऐतिहासिक मैदान में जहाँ से क्रांति की ज्वाला एक जुलुस के रूप में जली थी ,जिसने चौरी चौरा थाने छुपे में आतताई पुलिस वालों को जला कर खाक कर दिया इस क्रांति के महानायको को डुमरी खुर्द के मैदान में आदरांजलि दी गयी।
चौरी चौरा आंदोलन के केंद्र डुमरी खुर्द गांव के 36 आंदोलनकारियों पर मुकदमा चला था। आदरांजली कर्यक्रम में चौरी चौरा केस के नायक नज़र अली के वंशज कल्लन अहमद खान, चिनगी के वंशज कमला प्रसाद, पांचू के वंशज पारसनाथ, झकरी के वंशज बंधन प्रजापति, राम दत्त के वंशज श्री गौड़, मोहर के वंशज राम नरेश, राम शरण सिंह के वंशज राजू सिंह जियाउद्दीन, महावीर के चंद्रशेखर सिंह, त्रिवेणी के वंशज वीरेंद्र छेदी, बलदेव के वंशज अशोक, गौस अली के वंशज नियाजुद्दीन शेख, विक्रम अहीर के वंशज बृजराज यादव, सूर्यबली के वंशज भालचंद यादव आदि वंशज का सम्मान किया गया।
डुमरी खुर्द से गगनभेदी नारों के साथ मार्च करते हुए कारवां शहीद स्मारक चौरी चौरा पहुंचा। जहां जंग ए आजादी के मतवालों को सलामी दी गयी। इस दौरान चौरी चौरा इंटरनेशल फ़िल्म फेस्टिवल आयोजन समिति से जुड़े अविनाश गुप्ता, रुद्र प्रताप, धीरेंद्र प्रताप, हरगोविंद प्रवाह, संजू चौधरी, विजेंद्र अग्रहरी, शाह आलम, पारसनाथ मौर्या, पवन कुमार, मुकेश पासवान, प्रणय श्रीवास्तव, आकाश पासवान ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।

बुधवार, 3 फ़रवरी 2021

छठवां चौरी चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन हुआ सेमिनार व सांस्कृतिक कार्यक्रम

चौरी चौरा जन विद्रोह का शताब्दी वर्ष
राजधानी/चौरी चौरा।
'अवाम का सिनेमा' के बैनर तले आयोजित तीन दिवसीय चौरी चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के दूसरे दिन विभिन्न सांस्कृतिक और नाटकों का दौर चला। 
राजधानी गांव के राम चन्द्र इंटर कालेज परिसर में दूरदर्शन और आकाशवाणी के चर्चित लोकगायक राम प्रसाद साहेब ने सरोकारी प्रस्तुति दी। देशभक्ति से सराबोर पिंकी और प्रीति के नृत्य ने खूब तालियां बटोरी।
'चौरी चौरा जन विद्रोह का शताब्दी वर्ष' सेमिनार में बोलते हुए वरिष्ठ दस्तावेजी फोटो पत्रकार सुनील दत्ता ने कहा कि गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए दुनिया के अन्य देशों की भांति भारत का भी किसान मजदूर आंदोलित हुआ जिसकी असर चौरी चौरा एक्शन में देखने को मिलता है इसकी तुलना उन्होंने 14 जुलाई 1789 के फ्रांस के निरंकुशता के प्रतीक बास्टिल पर आंदोलकारियों ने कब्जा कर लिया था। उससे की जा सकती है।
क्रांतिकारी विचारक धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि जहां भी शहीदों का नाम आता हैं। हम सर झुका कर नमन करते हैं। जब हम चौरी चौरा जाते हैं तो देखते हैं वहां ब्रिटिश पुलिस वालों का शहीद स्मारक बना है। हम गुलामी के प्रतीकों को आजाद भारत में पीठ पर लादकर नहीं ढो सकते हैं।आज हमारे देश मे बहुत आंदोलन चल रहे हैं। पुलिस उनको मार रही हैं। ठीक वैसे ही जैसे 4 फरवरी 1922 को  अंग्रेजो के पुलिस मार रही थी। फिर कौन पुलिस देश के साथ गद्दारी कर रही थी यही सवाल हैं?
डॉक्टर धनंजय यादव ने संबोधित करते हुए कहा कि सन 1921 का दौर किसान मजदूर के आंदोलन का दौर रहा है इस समय का किसान अपने हक हकूक की लड़ाई ब्रिटिश हुकूमत के साथ स्थानीय जमीदारों के शोषण के खिलाफ भी गोलबंद थे। देश के अन्य हिस्सों के साथ ही चौरी चौरा में अपने दीन हीन दशा के खिलाफ विद्रोह पर उतारू हो गया। जिसका आक्रोश का असर तत्कालीन चौरी चौरा थाना भवन पर हुआ था।
जंग ए आजादी आंदोलन पर शोध करने वाले रुद्र प्रताप ने कहा कि चौरी चौरा की जनता शराब, विदेशी कपड़े के खिलाफ स्वदेशी को समर्थन कर रही थी। ब्रिटिश पुलिसिया अत्याचार ने जनता के आक्रोश में घी डालने का काम किया। इतिहास बताता है कि अत्याचार चौरी चौरा जैसे क्रांतिकारी इतिहास को दोहरा सकता है।
क्रांतिकारी चिंतक अविनाश गुप्ता ने कहा कि आज हम सब लोग संकल्प लेते हैं कि चौरी चौरा कांड को हम कांड नही जन विन्द्रोह कहेंगे। क्योंकि यह कांड नही जन विद्रोह था। उन्होंने कहा कि यह जन आंदोलन किसी एक विशेष का नही इसमें सभी वर्ग के लोग शामिल हुए थे। चौरी चौरा जन विद्रोह जन आंदोलन डुमरी खुर्द से निकल कर विश्व के इतिहास में दर्ज हो गया। हीरालाल यादव ने कहा कि आजादी मिली लेकिन हम आजादी को किस तरफ ले जा रहे यह समझना होगा। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हम वीर सपूतों को याद करते हैं और उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर हम सभी को जरूर चलना चाहिए।
सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए सामाजिक विचारक परुषोत्तम त्रिपाठी ने अपने संबोधन के दौरान अध्यक्षीय भाषण में त्रिपाठी ने कहा कि "चौरीचौरा विद्रोह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की नींव है, उसे ही आधार बना कर आगे के आंदोलन होते रहे। चौरी चौरा ऐसा संघर्ष जिसमें राष्ट्रीय आंदोलन को दिशा दी। हमे अपने अंतर्विरोधों को दूर करने में शताब्दी वर्ष मदद करेगा।
 डॉक्टर गरिमा ने अवाम के सिनेमा के पंद्रह वर्षों के सफरनामे में प्रकाश डाला। संचालन राम उग्रह यादव ने किया।
शहीद अब्दुल्लाह' पर नाटक का हुआ मंचन
नाटक के जरिए जनपद के ब्रह्मपुर ब्लॉक अंतर्गत राजधानी गांव निवासी क्रांतियोद्धा अब्दुल्लाह के संघर्ष को उकेरा गया। अब्दुल्लाह टोकरी में कांच की चूड़ियां लेकर गांव-गांव बेचते थे। उसी से उनके परिवार का जीविकोपार्जन होता था। असहयोग आंदोलन की चर्चा शुरू हुई तो अब्दुल्लाह फ़रवरी 1921में महात्मा गांधी का भाषण सुनने भगवान अहीर,विक्रम और नजर अली के साथ गोरखपुर गए थे।
अब्दुल्लाह इसके बाद जल्द ही पत्नी तीलिया और 2-3 साल के बेटे रसूल को छोड़कर अहमदाबाद कमाने चले गए। दिसम्बर 1921 में वहां कांग्रेस अधिवेशन में स्वयं सेवक के रूप में मुस्लिम मेस में काम किया। अब्दुल्लाह अधिवेशन में हुई चर्चा से प्रभावित थे।वहीं उन्हें रूसी क्रांति और मजदूरों किसानों के राज्य की स्थापना की जानकारी मिली।
मजदूर किसान के राज का स्वप्न लिए अब्दुल्लाह अपने गांव राजधानी आए।
विद्रोही विक्रम अहीर,भगवान अहीर और कोमल पहलवान थे। उस दौर के 40-50 किलोमीटर के पहलवानों में आपसी सम्बन्ध थे। डूमरी खुर्द के अखाड़े को नजर अली चलाते थे। सहुआकोल के कोमल पहलवान चौरी चौरा विद्रोह के समय थाने में थे। कोमल पहलवान पहले व्यक्ति है जो जेल से भागने में सफल हो गए लेकिन पुनः मुखबिरी के बाद इनकी गिरफ्तारी हो गई। 1924 के गर्मियों में इनकी फांसी हो गई।
अब्दुल्लाह और कोमल की अपने अपने इलाके के जमींदारों से अदावत थी।ये लोग सामंतों के उत्पीड़न के शिकार थे। लाल मोहम्मद ,नजर अली ,भगवान अहीर सबसे पहले नेशनल वालिंटियर बन गए थे। राजधानी मंडल के अध्यक्ष अब्दुल्लाह थे।13 जनवरी,1922 को डूमरी खुर्द में मण्डल स्थापना के बाद दूसरी मीटिंग 4 फरवरी शनिवार को होनी थी। भगवान अहीर की थानेदार गुप्तेश्वर सिंह से पिटाई के बाद स्वयं सेवक बहुत आहत थे। विद्रोहियों की भीड़ 4 फरवरी को दोपहर 1 बजे किसानों के नेतृत्व में दो हजार से ज्यादा गांव वालों ने थाने को घेर लिया।ब्रिटिश सत्ता के लंबे अपमान और उत्पीड़न की प्रतिक्रिया में उन्होंने थाना भवन में आग लगा दी। जिसमें छुपे 24 सिपाही जल कर मर गए थे।
उसके बाद ब्रिटिश हुकमत ने जबरदस्त तांडव शुरू हुआ। फिरंगी सरकार का दमन चला जिसमें एक - एक करके  विद्रोही  गिरफ्तार हुए। 
 आदालती कार्यवाही के बाद 19 आंदोलनकारियों को सजा ए मौत के बाद विभिन्न जेलों में  फांसी दे दी गई। तमाम को विभिन्न सजाए हुई। मुकदमा अब्दुल्लाह व अन्य बनाम ब्रिटिश हुकमत के नाम से चला। राजधानी निवासी अब्दुल्लाह के गिरफ्तारी के समय उनके बेटे रसूल की उम्र 4-5 साल की थी। पत्नी तीलिया की आंखो की रोशनी धीरे- धीरे चली गई। उनका और घर परिवार का जबर्दस्त उत्पीड़न हुआ।
 अब्दुल्लाह की फांसी बाराबंकी के जिला कारागार में 3 जुलाई 1923 को प्रातः 6 बजे हुई थी।
  बाराबंकी जेल में फांसी होने के बाद तीलियां बाराबंकी गई थी लेकिन शहीद पति की लाश अपने गांव न ला सकी। नाटक में ऐसे मार्मिक दृश्य देखकर लोगों के आखों में आंसू आ गए।
छठवें चौरी चौरा फ़िल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली फिल्में
अवाम का सिनेमा द्वारा राजधानी गांव में बनाए गए ओपन थियेटर में आजादी आन्दोलन से जुड़ी इंकलाब, मोमबत्ती, चिटगांव आदि फिल्में प्रदर्शित की गई। इसके इलावा भारत के अनन्त महादेवन द्वारा निर्देशित फ़िल्म :विलेज ऑफ अ लीसर गॉड, निलिमा अब्रम्स द्वारा निर्देशित फ़िल्म : द टेंट विलेज, हेमंत कुमार महाले की : काली मिट्टी, सुरेश  की कीर्ति आदि साथ ही इटली के फिल्म निर्देशक इलिशा पिरिया की फ़िल्म : मिलानो मिलानोवैक, माल्टा के फ़िल्म निर्देशक मौरीक मैक्लेफ़ की फ़िल्म: द रोमंस, फिलिपींस के मॉक ऑर्थर एलेक्जेंडर की फ़िल्म क्रॉसरोड्स, यूनाईटेड स्टेटस के जॉएल टुयबेर की फ़िल्म:  द शेयरिंग प्रोजेक्ट्स, यूनाईटेड किंगडम के जोरसलोव गोगोलिन की फ़िल्म : वन्स ऑन ऑल हैलोज़ इव, लुथियाना के जॉन्स सीलरोलोनी की फ़िल्म: द स्काई कम्युनिकेशन आदि फिल्में फेस्टीवल के यूट्यूब पेज पर निःशुल्क प्रदर्शित की जा रही हैं।

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

तीन दिवसीय छठवें चौरी चौरा इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल का आगाज

● चौरीचौरा जनांदोलन के शताब्दी वर्ष पर राम चन्द्र  यादव इंटर कालेज परिसर में शहीद परिजनों ने किया उद्घाटन

● शहीदों की कार्यक्रम में उमड़ा जनसैलाब
 
● देशभक्त और सांस्कृतिक कार्यक्रम से छात्रों ने मन मोह लिया।
●लोकनृत्य फरूवाही से कलाकारों ने बाधा समां

राजधानी/ चौरी चौरा, गोरखपुर।
केंद्र और राज्य सरकार इस वर्ष गोरखपुर के चौरी चौरा जनांदोलन के सौ साल पूरे होने पर पूरे प्रदेश में वर्ष भर कार्यक्रम कर रही है। वहीं इस जन आंदोलन के गुमनाम नायकों कि खोज परख और उनके परिजनों के सम्मान दिलाने का कार्य जिले के अवाम का सिनेमा द्वारा कई वर्षों से किया जा रहा है। और इसी क्रम में दो फरवरी से 6वा अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसमे चौरी चौरा जनविद्रोह के नायकों भगवान अहीर और रूदली केवट अंग्रेजी सेना में रह चुके थे और वे लोग असहयोग आंदोलनकारियों को प्रशिक्षित करते थे। 
नजर अली आला दर्जे के पहलवान थे जो चौरी चौरा जन विद्रोह के केन्द्र रहे डुमरी खुर्द में अखाड़ा चलाते थे। विक्रम अहीर और कोमल पहलवान थे। जन नायक का खिताब पाने वाले कोमल पहलवान ही जेल से भागने में सफल हो गए लेकिन मुखबिरी के बाद पकड़ में आ गए और 1924 के गर्मियों में फांसी दे दी गई। विक्रम अहीर और नेऊर पहलवान की वंशज सोमारी देवी, शहीद रूदली केवट के वंशज राम वचन, शहीद नजर अली के वंशज आखिरूज्जमा, कोमल पहलवान के वंशज फौजदार सहित शहीद अब्दुल्लाह के वंशज अलीमुन्निशा संयुक्त रूप से फ़िल्म फेस्टिवल का उद्घाटन किया। अवाम का सिनेमा द्वारा सम्मान पाकर उनके परिजन अभिभूत हुए और उन्होंने अपने परिजनों से सुने हुए उस कालखंड के आंदोलन को याद किया और कहा कि ये उस दौर का ऐसा जनांदोलन था जिसे उस समय असहयोग आंदोलन को स्थगित न करके अगर आगे बढ़ाया गया होता तो शायद देश को 1922 में ही अंग्रेजो से आजादी मिल गई होती। 
यह जन आंदोलन लंबे उत्पीड़न से तंग फिरंगी हुकूमत के खिलाफ ऐसे जनविद्रोह की ऐसी चिंगारी थी। जिसने ब्रिटिश सरकार के 24 सिपाहियों को जिंदा जला कर खाक कर दिया था। चौरी चौरा प्रकरण में 273 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिसमें 272 में से 228 पर अब्दुल्लाह व अन्य बनाम ब्रिटिश हुकूमत के नाम से मुकदमा चला था। क्रांतिकारी शहीद अब्दुल्लाह ब्रह्मपुर ब्लाक के राजधानी गांव के रहने वाले थे। लिहाजा ऐतिहासिक रूप से चर्चित राजधानी गांव में स्थित रामचंद्र यादव इंटर कालेज में फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया गया है। जिसमे आजादी के आंदोलन से जुड़ी फिल्म छात्रों और ग्रामीणों को दिखाई गई। 
फ़िल्म फेस्टिवल के मुख्य अतिथि शहीद शोध संस्थान के निदेशक सूर्यकांत पांडेय ने अपने उद्बोधन में कहा की चौरी चौरा जन विद्रोह जलियांवाला कांड की प्रतिक्रिया स्वरूप उभरा जन आंदोलन था। जिसमे जनहिंसा के विरोध में गांधी  ने आंदोलन वापस ले लिया था। जबकि 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के वक्त ब्रितानी सरकार के खिलाफ आमजन ने ब्रिटिश सरकार पर जमकर हमला बोला था। चौरी चौरा आंदोलन पर पहली पुस्तक लिखने वाले लेखक राम मूर्ति को भी सम्मानित किया गया।
श्यामा मल्ल महाविद्यालय की आचार्य गरिमा यादव की अगुवाई में सैकड़ों छात्र छात्राएं मार्च करते हुए राजधानी कार्यक्रम स्थल पहुंचे। आजादी के क्रांतिवीरों पर पोस्टर प्रदर्शनी आकर्षण का केंद्र रही।
शहीदों के वंशजो को किया गया सम्मानित

शहीद अब्दुल्लाह के वंशज अलीमुन्निशा, बेबी खातून,शहीद नजर अली के वंशज आखिरूज्जमा, शहीद कोमल पहलवान के वंशज फौजदार, शहीद विक्रम के वंशज सोमारी देवी, रूदली केवट के वंशज रामवचन केवट का शाल और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
 फ़िल्म फेस्टिवल में  मुख्य रूप से अविनाश गुप्ता, राम उग्रह यादव, योगेन्द्र जिज्ञासु, धीरेन्द्र प्रताप,  सुरेन्द्र कुमार, डॉ. धनंजय यादव, रूद्र प्रताप, पारसनाथ मौर्या, डॉ. शंभू निषाद, हरगोविंद प्रवाह, अंकित कुमार, केशव नाथ यादव, दयानंद विद्रोही,नरसिंह यादव, राधेश्याम, डॉ. यदुकुल श्री मणिदेव मल्ल, मुरारी यादव,लाल साहब, चद्रवती देवी प्रधान राजधानी कमरूज्जमा आदि उपस्थित रहे।

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