गुरुवार, 30 दिसंबर 2021

चंबल लिटरेरी फेस्टिवल 2: चंबल पर भी बिगड़ते पर्यावरण का असर, बुद्धिजीवियों ने कई मुद्दों पर जताई चिंता

 - तीन दिवसीय चंबल लिटरेरी फेस्टिवल दूसरी बार आयोजित

 - इस बार वर्चुअली तरीके से ही हुआ आयोजन 

- चंबल में भी पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति और अनदेखी पर जताई गई चिंता 

इटावाः चंबल लिटरेरी फेस्टिवल-2 के तीन दिवसीय आयोजन के पहले दिन चंबल में बिगड़ते पर्यावरण को लेकर चिंता जताई गई। विकास के साथ बचाव की वकालत की गई। कहा गया, जब तक छोटी नदियों को नहीं बचाया जाएगा तब तक बड़ी नदियों को जिंदा रखने की बात बचकानी होगी। विकास का सौदा जल, जंगल, जमीन के विनाश से नहीं किया जाना चाहिए। चंबल फाउंडेशन की ओर से हर साल चंबल लिटरेरी फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। इस बार हो रहे तीन दिवसीय आयोजन में अलग-अलग विषय पर ऑनलाइन परिचर्चा का आयोजन किया गया। फेस्टिवल के पहले दिन ‘चंबल में पर्यावरण संकट’ पर चर्चा की गई। सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर इसका प्रसारण किया गया।
 चंबल लिटरेरी फेस्टिवल 2 में हिस्सा लेते हुए वरिष्ठ पत्रकार, लेखक और चिंतक योगेश जादौन ने चंबल में बढ़ रहे पर्यावरण संकट को रेखांकित किया। उन्होंने चंबल के उदगम स्थल मध्य प्रदेश स्थित इंदौर के जानामऊ से ही बढ़ रहे चंबल के संकट के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सरकारों को नदी, जंगल और जमीन की कोई चिंता नहीं है। उनके भाषणों में भी इनका जिक्र जनता की संवेदना बटोर लेने तक ही सीमित है। उन्होंने कहा कि छोटी नदियों को बचाने के लिए जब तक जनता का सशक्त चेतन आंदोलन नहीं होगा इस दिशा में कुछ भी कहना कोरी बकवास है। चंबल के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि यह देश की सबसे कम प्रदूषित नदियों में एक है। यह एक मात्र नदी है जहां बड़ी संख्या में कैटफिश, आठ तरह के कछुए, डाल्फिन, मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं। नदियों को जोड़ने के सवाल पर कहा कि इससे क्या परिणाम निकलते हैं यह अभी देखा जाना बाकी है। मगर, हर नदी का अपना तंत्र है। इसकी अपनी प्रकृति और ढंग है। सबका पानी और वातावरण अलग है। ऐसे में नदियों को जोड़ने का काम काफी सोच समझ कर किया जाना चाहिए। सबसे बड़ा सवाल तो नदियों में साल भर पानी रहने का है। इस दिशा में सरकार कुछ नहीं सोच रही है। इसके लिए छोटी नदियों को पहले अतिक्रमण से मुक्त कराना होगा। उनके किनारे तालाब, पोखर, जोहड़ बनाने पर ध्यान देना होगा। जब जलस्तर बढ़ेगा तो नदियों में साल भर पानी भी रह सकेगा। इस परिचर्चा में पर्यावरणविद् राधेगोपाल यादव भी जुड़े। परिचर्चा का संचालन क्रांतिकारी इतिहास को खोजने सँवारने में लगे लेखक शाह आलम ने किया। 

दूसरे दिन चंबल लिटरेरी फेस्टिवल में चर्चा
परिचर्चा का विषय ‘चंबल के उपेक्षित धरोहर’ रखा गया। इस सत्र में बीहड़ क्षेत्र के वरिष्ठ संवाददाता शंकरदेव तिवारी ने कहा कि जो चंबल हमारी पुरातात्विक और प्राकृतिक धरोहरें की खान रही है। आज के दौर में उन विरासतों को भी संरक्षित और सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं। चंबल के धरोहर हाथ फैलाये हमें अपनी तरफ उम्मीद से देख रहे हैं। उनको संरक्षित करने के नाम पर भ्रष्ट सरकारी तंत्र फल-फूल रहा है। हमने कागजों पर हो रहे ऐसे कामों की बहुत पोले खोली हैं। 

वरिष्ठ लेखक-पत्रकार खिजर मोहम्मद कुरैशी ने ‘चंबल के उपेक्षित धरोहर’ विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि चंबल में विकास को तवज्जो नहीं दी जा रही है। चंबल के गौरवमयी इतिहास की चर्चा ही कम होती है। उन्होंने चंबल के कटाव से बीहड़ के गोद में समा जाने वाले कई बेचिराग गांवों का जिक्र किया कि किस तरह से यह गांव उपेक्षा की मार से चलकर दूसरे जगह बस जाते हैं। आगे कहा कि यहां अपने दम पर सबसे बड़ा रूई उद्योग खड़ा था जो उजड़कर वीरान हो गया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि चंबल में बागियों का भी उसूल था लेकिन आज चंबल की रेती में नई तरीके से डकैती डाली जा रही है।‘चंबल के उपेक्षित धरोहर’ चर्चा सत्र का संचालन सीएलएफ के संयोजक डॉ. कमल कुमार कुशवाहा ने किया। 

चंबल लिटरेरी फेस्टिवल का आखिरी दिन, भ्रांतियों पर चर्चा

 चंबल लिटरेरी फेस्टिवल के आखिरी दिन ‘चंबल अंचलः पूर्वाग्रह और यथार्थ’ परिचर्चा पर बोलते हुए वरिष्ठ लेखक-पत्रकार डॉ. राकेश पाठक ने कहा कि चंबल को लेकर तमाम भ्रांतियां सिनेमा ने बनाई है जबकि चंबल पीले सोने का देश का देश है। चंबल को लेकर एक पूर्वाग्रह बन गया है कि यहां डकैत होते रहे हैं, इसलिए ही ये पिछड़ा है, जबकि ये पूरी तरह से सही नहीं है। हिंदी सिनेमा ने भी चंबल की इस तरह की छवि बनाने का काम किया। चंबल के नौजवान बड़ी संख्याओं में देश की तीनों सेनाओं में शामिल होते हैं। चंबल के अधिकतर गांवों में देश के लिए जान देने वाले शहीदों की लम्बी श्रंखला है। फिर भी अब भी डकैतों के लिए ही जाना जाता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। चंबल बहुत समृद्ध क्षेत्र है, जहां हर क्षेत्र में काम करने वाले बहुत बड़े-बड़े लोग पैदा हुए। इसलिए ये पूर्वाग्रह टूटना चाहिए। 

चंबल के शोधार्थी डॉ. अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि चंबल की लोक संस्कृति अपने आपमें बहुत सशक्त रही है। जिसने आजादी आंदोलन में फिरंगी सरकार को पानी पिला दिया। उन्होंने कहा कि चंबल के पूरे इलाके को गलत तरीके से देखा गया। चंबल के बीहड़ों को इस तरह दिखाया गया, जैसे चंबल में सिर्फ यही होता रहा हो, जबकि ऐसा नहीं होता। न पहले था, न अब ऐसा है। ये अहम मुद्दा है कि आज भी चंबल के लोगों को बौद्धिक स्तर पर, सांस्कृतिक स्तर पर कमतर दिखाने की कोशिश की जाती है। जबकि चंबल इस मामले में भी बहुत विकसित रहा है। यथार्थ ये है कि सरकारें इस पूरे इलाके में ध्यान ही नहीं देती। यहां न पानी है ठीक से, न शिक्षा के साधन है, न आजीविका के साधन हैं। आखिर चंबल और इसकी विरासत को क्यों नज़रअंदाज किया गया। इस सत्र का संचालन भी शाह आलम ने किया। चंबल लिटरेरी फेस्टिवल में के तीन दिवसीय आयोजन में टेक्निकल सपोर्ट मोहित यादव ने दिया।

बुधवार, 15 दिसंबर 2021

अपना दल एस के पदाधिकारियों ने पुण्य तिथि पर सरदार वल्लभ भाई पटेल को किया नमन

मसकनवा:गोंडा। अपना दल एस ने सरदार वल्लभभाई पटेल जी का परिनिर्वाण दिवस विधानसभा 301गौरा के छपिया कार्यालय पर श्रद्धा पूर्वक मनाया इस अवसर पर उपस्थित कार्यकर्ता पदाधिकारी व जनसमूह ने सरदार पटेल की प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पार्पण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया। अपना दल एस संगठन के सभी वरिष्ठ व कनिष्ठ पदाधिकारियों ने सरदार पटेल के व्यक्तित्व व जीवन काल पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए उन्हें याद किया ।
कार्यक्रम का संचालन जिला अध्यक्ष राकेश वर्मा ने किया ।
कार्यक्रम में दल के वरिष्ठ नेता व पूर्व जिला पंचायत सदस्य अभिमन्यु पटेल  राम प्रगट वर्मा राम नरेश पटेल  सुभाष पटेल राघव राम वर्मा  संजय सिंह  राम धीरज पटेल  चंद्रमणि पटेल परशुराम वर्मा  केशव राम वर्मा बनारसी महात्मा  शेषराम वर्मा  दीपक व बड़ी संख्या में महिला  सदस्यों की उपस्थिति रही ।

बुधवार, 8 दिसंबर 2021

जबरदस्त सफलता के बाद अगली तैयारी शुरू, 16वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के लिए दुनियाभर से मांग रहे फ़िल्में

अयोध्या।

 देश भर में प्रतिष्ठित अयोध्या फिल्म फेस्टिवल का सिलसिला पड़ाव दर पड़ाव आगे बढ़ता जा रहा है. हाल ही में फेस्टिवल का 15वां संस्करण सफलता के साथ सम्पन्न हुआ जिसमें देश-दुनिया की उल्लेखनीय फिल्मों का प्रदर्शन हुआ. अब 16वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल की भव्य तैयारियां अभी से शुरू हो गई हैं. आयोजकों ने दुनिया भर के सिने निर्माता-निर्देशकों से अलग-अलग विषयों में एंट्री आमंत्रित की है. सभी एंट्री ऑनलाइन माध्यम से आयोजकों तक भेजी जा सकती है. 
16वें अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के लिए एंट्री 8 दिसंबर से शुरू हो रही है. अगले साल 22 से 24 अगस्त के बीच बेनीगंज आईटीआई में फिल्म समारोह का भव्य आयोजन होगा. अयोध्या फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 'अवाम का सिनेमा' करता आ रहा है. सार्थक सिनेमा का चयन, पारदर्शी प्रक्रिया और आयोजन में व्यापक रूप से जनपक्षधर प्रतिष्ठित सिने कार्यकर्ताओं के जुड़े होने की वजह से फेस्टिवल ना सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित फिल्म समारोहों में जगह पा चुका है. 

अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के , ज्यूरी चेयरमैन प्रोफेसर मोहन दास ने बताया कि दुनिया भर के सिने निर्माता-निर्देशक कलाकार अपनी फिल्मों को समारोह के 16वें एडिशन के लिए भेज सकते हैं. ऑनलाइन माध्यम से प्रविष्टियां भेजने में कोई परेशानी ना हो इसकी तैयारी की गई है. फिल्मों को शुल्क के साथ फिल्मफ्रीवे के माध्यम से सीधे भेजा जा सकता है. 

अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक शाह आलम ने कहा-अवाम का सिनेमा, वर्ष 2006 में काकोरी एक्शन के महानायकों की याद में शुरू किया गया था. अवाम का सिनेमा ने अब तक देश के विभिन्न हिस्सों में कई उल्लेखनीय फिल्म समारोहों का आयोजन किया है. इस वर्ष आजादी का हीरक जयंती वर्ष चल रहा है. लिहाजा अवाम का सिनेमा देश के कई विश्वविद्यालयों के साथ शहीदों के जीवन पर फिल्म निर्माण के लिए वर्कशाप आयोजित करेगा. आजादी के नायकों पर बनी फिल्में भी 16वें अयोध्या फिल्म समारोह के आकर्षण का बड़ा हिस्सा होंगी. यहां स्वतंत्रता सेनानियों पर बनी फिल्मों को दिखाया जाएगा और सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को सम्मानित भी किया जाएगा. 
अयोध्या फिल्म फेस्टिवल के आयोजकों ने बताया कि समारोह में तमाम निर्माता-निर्देशक अपनी फ़िल्में दिखाना चाहते हैं. आख़िरी समय में फिल्मों की एंट्री अनुरोध पर स्क्रीनिंग और रिव्यू में समस्याएं आती हैं. इस वजह से तमाम अच्छी फ़िल्में समारोह का हिस्सा नहीं बन पाती. ज्यादा से ज्यादा फ़िल्में समारोह में पहुंच पाए इस वजह से आयोजकों ने ऑनलाइन माध्यम से एंट्री प्रोसेस को शुरू कर दिया है.

www.ayodhyafilmfestival.com

https://filmfreeway.com/AYOFF

सोमवार, 6 दिसंबर 2021

अपना दल एस ने श्रद्धा पूर्वक मनाया बाबा साहेब अम्बेडकर का परिनिर्वाण दिवस


मसकनवा: अपना दल एस ने संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर का परिनिर्वाण आज तेजपुर के दिवहारी पुरवे पर  श्रद्धापूर्वक मनाया। कार्यक्रम में  उपस्थित जनसमूह ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पार्पण करते हुए उनके व्यक्तित्व को याद किया। मुख्य अतिथि अभिमन्यु पटेल राष्ट्रीय सचिव युवा मंच अपना दल एस व पूर्व जिला पंचायत सदस्य टीकर ने अपने वक्तव्य में बताया कि

बाबासाहेब आंबेडकर ने दलित पिछड़े आंदोलन को प्रेरित करते हुए अछूतों से सामाजिक भेदभाव के विरोध में बड़े अभियान की भी शुरुआत की थी। श्रमिकों से लेकर किसान और महिलाओं के अधिकार के लिए वो आजीवन संघर्ष करते रहे  और उनका जमकर समर्थन भी किये । आंबेडकर जी ने अपना पूरा जीवन जातिवाद को खत्म करने, गरीबों, दलितों और पिछड़े  वर्गों के लिए अर्पित किया था, उन्‍होंने समता, समानता, बन्धुता एवं मानवता आधारित भारतीय संविधान के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाई । विशिष्ट अतिथि जिलाध्यक्ष राकेश वर्मा ने अपने सम्बोधन में बताया कि बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने  सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक इत्यादि विभिन्न क्षेत्रों में अनगिनत कार्य करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। मंच का संचालक संजय सिंह व आयोजक  राम कुमार भारती लड्डू रहे। इस अवसर पर हनुमान दीन पांडेय  राघव राम वर्मा  परशुराम वर्मा  सुभाष पटेल  शेषराम मौर्य शीला भारती  उषा भारती  कृष्ण कुमार वर्मा  श्रवण कुमार भारती रजनीश वर्मा  सोनिया वर्मा सोहरता शर्मा  प्रेमचंद वर्मा बब्बनधर वर्मा  शकुन्तला देवी शुशील वर्मा राम करन भारती   राधेश्याम वर्मा अशफाक खान  लच्छीराम भारती व अन्य तमाम ग्राम वासी उपस्थित रहे ।

16वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल संपन्न, ऐतिहासिक रहा आयोजन

  अवाम का सिनेमा - कई देशों की फिल्मों का प्रदर्शन - अन्य कई कार्यक्रम भी हुए आयोजित अयोध्याः काकोरी एक्शन के महानायक पं. राम प्रसाद ‘बिस्म...