मंगलवार, 29 जून 2021
गिरफ्तार: चोरी की साजिश रचते हुए तीन शातिर चोर गिरफ्तार, पूछताछ में बड़ा खुलासा
सोमवार, 28 जून 2021
मांगः क्षेत्रवासियों ने अंबुज त्रिपाठी को जिला अध्यक्ष बनाए जाने की मांग
गोण्डाः जिला अध्यक्ष आनंद स्वरूप के निष्कासन के बाद गोंडा समाजवादी पार्टी में भूचाल आ गया है। लोग कयास लगाए बैठे हैं कि जिला अध्यक्ष नया कौन होगा वही गौरा विधानसभा के पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मांग की है।
कि समाजवादी पार्टी के 13 वर्षो से पार्टी से जुडे तेजतर्रार वरिष्ठ नेता अंबुज त्रिपाठी को जिला अध्यक्ष बनाए जाने की मांग जोरों पर है। अब देखना होगा कि जहां भाजपा जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए ब्राह्मण कार्ड खेला है। अब क्या सपा जिला अध्यक्ष किसी ब्राह्मण को बनाकर ब्राह्मण कार्ड खेल पाएगा।
गुरुवार, 17 जून 2021
Gonda: किसानों के हित के लिए किसान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का उपवास जारी
शनिवार, 12 जून 2021
वारदात: छात्रा पर चाकू से वार कर जानलेवा हमला, तेल छिड़ककर जलाने का प्रयास
मसकनवा-गोंडा. छपिया थाना क्षेत्र के एक गांव में छात्रा पर दिनदहाड़े जानलेवा हमला करने का मामला सामने आया है. यहां एक सिरफिरे युवक ने दिनदहाड़े घर में घुसकर छात्रा पर हमला कर दिया.
बता दें, घर में घुसकर दबंग किस्म के युवक ने छात्रा पर चाकू से वार कर दिया. युवक ने पहले छात्रा को जलाने की कोशिश की, उसके बाद चाकू से वार कर दिया. वार के दौरान गले, हाथ और गर्दन पर चाकू के निशान लग गए. छात्रा पर वार करने वाला युवक उसी गांव का रहने वाला है. परिजन छात्रा को गंभीर हालत में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र छपिया लेकर आए जहाँ पर युवती की हालत गंभीर होने पर जिला अस्पताल गोण्डा के लिए रेफर कर दिया. जहाँ उसका इलाज जारी है. पुलिस ने हत्या के प्रयास सहित तमाम धाराओं में युवक के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
छात्रा पर वार करने वाला युवक मौके से फरार हो गया. आरोपी युवक के खिलाफ धारा- 307 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ है. छपिया थाना क्षेत्र के एक गांव की घटना है. फिलहाल, पुलिस युवक को पकड़ने के लिए टीम गठित कर छानबीन शुरू कर दी है.
गुरुवार, 10 जून 2021
Basti: क्रांतिवीर पिरई खां स्मृति समिति द्वारा महुआ डाबर जनविद्रोह दिवस, पर हुआ अंतरराष्ट्रीय वेब संवाद
महुआ डाबर (बस्ती)
क्रांतिवीर पिरई खां स्मृति समिति द्वारा महुआ डाबर जनविद्रोह दिवस का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय वेब संवाद को संबोधित करते हुए शहीद ए आजम भगत सिंह के भांजे प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने महुआ डाबर घटना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला। मालसन और थोम्पसन जैसे इतिहासकारों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया की ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा अवध के इलाके में लागू की गयी ‘महालवारी ज़मीनी बंदोबस्त’ ने इस इलाके के किसानों और रईसों दोनों को बर्बाद कर दिया था क्यूंकि अंग्रेजों का मकसद सिर्फ ज्यादा से ज्यादा लगान वसूलना था, खेती की पैदावार बढ़ाने में उन्हें कोई रूचि नहीं थी। कंपनीराज के शोषण के कारण ही 1857 में अवध में जबरदस्त जनविद्रोह हुआ जिसमें समाज के हर तबके ने हिस्सा लिया। महुआ डाबर बस्ती जिले का एक कस्बा था जहाँ 1830 में मुर्शिदाबाद में अंग्रेजों के अत्याचारों से तंग आकर रेशम के कारीगर आकर बस गए थे। यह एक संपन्न कस्बा था जिसमे दो मंजिला मकानों की अच्छी खासी संख्या थी और शिक्षित वर्ग की भी ठीक-ठाक उपस्थिति थी। 10जून 1857 के विद्रोह के दौरान महुआ डाबर के निवासियों ने एक नाव पर, जिसमे अंग्रेज सैन्य अधिकारी बैठकर दानापुर जा रहे थे, हमला बोल दिया। जिसमे 6 सैन्य अधिकारी मारे गए थे। बाद में इसका बदला लेने के लिए अँगरेज़ सिपाहियों ने पूरे के पूरे कसबे को नष्ट कर दिया और एक एक व्यक्ति को फांसी पर चढ़ा दिया। यह घटना भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक अप्रतिम घटना है जो कि आज भी प्रेरणादायक है।
प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने जोर देते हुए कहा कि साझा संघर्ष के केंद्र महुआ डाबर जनविद्रोह को हमें तीसरी पीढ़ी का कि नहीं हमें हमेशा के लिए याद रखना जरूरी होगा और उस क्रांतिकारी धरती को यादगार विरासत को संजोने की जरूरत है।
125 भाषाओं के गजल गायक डॉक्टर गजल श्रीनिवास ने महुआ डाबर में मेमोरियल बनाने, डाक्यूमेंट्री और दस्तावेजी किताब लिखने का प्रस्ताव रखा। जिससे महुआ डाबर का इतिहास को संजोया जा सके। इस मुहिम का सभी ने समर्थन किया। महुआ डाबर के वीरान खंडहरों को निहारने पहुंचे क्रांतिकारी लेखक शाह आलम ने यहां की तस्वीर दिखाई।
दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़े इतिहासकार दुर्गेश चौधरी, प्रोफेसर शमसुल इस्लाम, पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक आनन्द, शिक्षक रॉबिन वर्मा, क्रांतिकारियों पर शोध करने वाले प्रबल शरण अग्रवाल, रुद्रप्रताप सिंह आदि ने महुआ डाबर के लड़ाके पुरखों को याद किया। प्रोग्राम का संचालन दुर्गेश कुमार चौधरी ने किया। महुआ डाबर में आयोजक आदिल खान, सुजीत कुमार, नासिर खान, अंकित कुमार, इरशाद ,विशाल पाण्डेय आदि ने अपनी भूमिका निभाई।
बुधवार, 9 जून 2021
जनविद्रोह दिवस: क्रांतिवीर पिरई खां स्मृति समिति मना रही है जनविद्रोह दिवस, अंतर्राष्ट्रीय वेब संवाद का आयोजन कल
महुआ डाबर एक्शन से थर्रा गई थी ब्रिटिश हुकूमत
-क्रांतिवीर पिरई खां स्मृति समिति मना रही है जनविद्रोह दिवस
-स्मरण दिवस पर अंतर्राष्ट्रीय वेब संवाद का आयोजन कल
महुआ डाबर, बस्ती। बर्बर फिरंगी हुकूमत के खिलाफ बगावत की चिंगारी में फैल गई थी। गोरखपुर के सिपाहियों ने 8 जून 1857 को राजकोष लूटने की कोशिश की। कैप्टन स्टील और उनकी 12वीं अश्वारोही दल को आजादी के मतवालो ने पीछे खदेड़ दिया तो वही 8 एवं 9 जून को फैजाबाद तथा गोण्डा के सिपाहियों की टुकड़ी ने भी ब्रिटिश सरकार को ललकार दिया था। क्रांति की ज्वाला जलाने वाले पिरई खां और उनके क्रांतिकारी साथी देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए आमादा थे।
महुआ डाबर के पास से षड्यंत्रकारी अंग्रेज अफसर दानापुर (पटना) जा रहे थे। भारतमाता के बहादुर बेटों को जुल्मी अंग्रेज अफसरो के इस रास्ते से आने की भनक लग गई। गुलामी की बेडियां तोड़ने और फिरंगियों से दो-दो हाथ करने के लिए पूरा इलाका एकजुट हो गया। पिरई खां के नेतृत्व में लाठी-डंडे, तलवार, फरसा, भाला, किर्च आदि लेकर यहां के रहवासियों की टुकड़ी ने मनोरमा नदी पार कर रहे अंग्रेज अफसरों पर 10 जून 1857 को हमला बोल दिया। लेफ्टिनेंट लिंडसे, लेफ्टिनेंट थामस, लेफ्टिनेंट इंगलिश, लेफ्टिनेंट रिची, लेफ्टिनेंट काकल और सार्जेंट एडवर्ड को मौत के घाट उतार दिया। तोपची सार्जेंट बुशर जान बचाकर भागने में सफल रहा। उसने ही घटना की जानकारी वरिष्ठ अफसरों को दी। इस क्रांतिकारी घटना ने तहलका मचा दिया। महुआ डाबर एक्शन ने ब्रिटिश सरकार की जड़ें हिला दी।
बौखलाई अंग्रेज सरकार ने 20 जून 1857 को पूरे जिले में मार्शल ला लागू कर दिया गया था। 3 जुलाई 1857 को बस्ती के कलक्टर पेपे विलियम्स ने घुड़सवार फौजो की मदद से महुआ डाबर गांव को घेरवा लिया। घर-बार, खेती-बारी,रोजी-रोजगार सब आग के हवाले कर तहस- नहस कर दिया गया। इस गांव का नामो निशान मिटवा कर ‘गैरचिरागी’ घोषित कर दिया। यहां पर अंग्रेजों के चंगुल में आए निवासियों के सिर कलम कर दिए गए। इनके शवों के टुकड़े-टुकड़े करके दूर ले जाकर फेंक दिया गया। इतना ही नहीं अंग्रेज अफसरों की हत्या के अपराध में जननायक पिरई खां का भेद जानने के लिए गुलाम खान, गुलजार खान पठान, नेहाल खान पठान, घीसा खान पठान व बदलू खान पठान आदि क्रांतिकारियों को 18 फरवरी 1858 सरेआम फांसी दे दी गई। जनपद गजेटियर में महुआ डाबर की घटना का जिक्र मिलता है। आजाद भारत में तमाम प्रयासो के बावजूद महुआ डाबर
के क्रांतिवीरो को बिसरा दिया गया। शासन-प्रशासन ने महुआ डाबर को लेकर कई बार घोषणाएं की लेकिन आज भी महुआ डाबर एक अदद स्मारक के लिए तरस रहा है।
क्रांतिवीर पिरई खां स्मृति समिति से जुड़े लोग आज जाएंगे महुआ डाबरः
कोविड नियमों का पालन करते हुआ समिति से जुड़े युवा महुआ डाबर क्रांति दिवस के अवसर पर महुआ डाबर जाएंगे। यहां वो अपनी धुंधला दी गई गौरवशाली विरासत को याद करेंगे।
महुआ डाबर 1857 जनविद्रोह स्मरण दिवसः क्रांतिवीर पिरई खां स्मृति समिति
इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय वेब संवाद का आयोजन दोपहर एक बजे करेगी। जिसे शहीद ए आजम भगत सिंह के भांजे प्रोफेसर जगमोहन सिंह, दिल्ली
विश्वविद्यालय से जुड़े इतिहासकार डॉ. सौरभ बाजपेयी, क्रांतिकारी लेखक शाह आलम आदि संबोधित करेंगे। इस दौरान विश्व के 125 भाषाओं में गाकर तीन बार गिनीज बुक में दर्ज सुविख्यात गायक डॉ. गजल श्रीनिवास अपनी विशेष प्रस्तुतियां देंगे। आनलाइन सत्र का संचालन विचारक दुर्गेश कुमार चौधरी करेंगे।
रविवार, 6 जून 2021
बैठक: उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के पदाधिकारियों ने की बैठक
शुक्रवार, 4 जून 2021
पर्यावरण दिवस विशेष: रोग और शोक मुक्त जीवन के लिए प्रदूषण मुक्त पर्यावरण चाहिए
गुरुवार, 3 जून 2021
पंचायत चुनाव: पांच प्रधान, चार बीडीसी व 3987 सदस्यों के चुनाव 12 को, प्रशासन ने कसी कमर
पंचायत चुनाव
गोंडा। पंचायत चुनाव में रिक्त पदों के उप चुनाव की तारीख तय हो गई हैं। पंचायत चुनाव के बाद पांच प्रधानों और चार बीडीसी सदस्यों की मौत हो चुकी है। इन पदों के साथ ही रिक्त चल रहे 3987 पंचायत सदस्यों के पदों का भी चुनाव होगा।
उप चुनाव में 6 जून को नामांकन होगा और उसी दिन पर्चों की जांच पूरी होगी। इसके अलावा 7 जून को नाम वापस लिए जा सकेंगे। 7 को ही चिन्ह आवंटन हो जाएगा। 12 जून को मतदान होने के बाद 14 जून को मतगणना हो जाएगी। इसके बाद शेष पंचायतों के गठन की कार्रवाई पूरी हो सकेगी।
पंचायत चुनाव में 3987 पंचायत सदस्यों के पद रिक्त रह गए हैं, ऐसे में 363 पंचायतें ऐसी हैं जहां का कोरम नहीं पूरा हुआ। इससे यहां के प्रधान अपने पद पर बने तो रहे लेकिन पैदल ही हैं। न तो वह खातों का संचालन कर पएं और न ही पंचायतों की बैठक ही हुई। अब इनका इंतजार भी खत्म हो जाएगा।
जिले की 363 पंचायत में दो तिहाई सदस्य निर्वाचित नहीं हो सके। त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था में लोकतंत्र के सबसे छोटे पद के प्रति लोगों के बेरुखी से यह समस्या आ खड़ी हुई थी।
जिले की 1214 ग्राम पंचायतों में से 363 में ग्राम पंचायत सदस्यों की संख्या पूरी न होने ये पंचायत की सरकार का गठन संभव ही नही है। जिले में ग्राम पंचायत सदस्यों के 3987 पद रिक्त हैं।
अब उपचुनाव की तिथि तय होने से पंचायतों का कोरम पूरा कराने के लिए निर्वाचित प्रधान सक्रिय हो गए हैं। बिना कोरम पूरा हुए पंचायतों का गठन संभव नही होगा। माना जा रहा है कि पंचायत सदस्यों का निर्वाचन उप चुनाव से पूरा हो जाएगा।
जिले की पांच ग्राम पंचायतों में निर्वाचित प्रधानों का निधन हो चुका है। इनमें विकासखंड कर्नलगंज की ग्राम पंचायत धनावा, परसपुर में चरहुंआ, कटराबाजार में टेढ़ी, तरबगंज में गौहानी व नवाबगंज में ग्राम पंचायत नगवा की प्रधान शामिल हैं।
इसके अलावा चार बीडीसी के निधन से भी पद रिक्त है। अब उपचुनाव की तिथि तय होने के बाद इन पंचायतों में प्रधान पदों के लिए भी उप चुनाव होंगे। प्रधानों के निधन होने से इन पंचायतों का भी गठन अधूरा ही पड़ा है।
दर्दनाक हादसा: तालाब में डूबने से एक ही परिवार के 5 बच्चों की मौत, गांव में मातम 'सीएम ने जताया दुःख'
घटना की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक समेत अन्य आलाधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. क्षेत्रीय विधायक प्रभात कुमार वर्मा भी घटनास्थल पर पहुंचे और घटना की जानकारी ली. और हरसंभव मदद का भरोसा दिया.
16वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल संपन्न, ऐतिहासिक रहा आयोजन
अवाम का सिनेमा - कई देशों की फिल्मों का प्रदर्शन - अन्य कई कार्यक्रम भी हुए आयोजित अयोध्याः काकोरी एक्शन के महानायक पं. राम प्रसाद ‘बिस्म...
-
मसकनवा-गोण्डा। चुनावी रंजिश एंव आपसी विवाद को लेकर दो पक्षों में हुई मारपीट में लगभग एक दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल। मारपीट में घायल व्यक्ति...
-
मसकनवा (गोण्डा) . कोरोना से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है. सरकार और प्रशासन अपने स्तर पर लोगों से कोरोना गाइडलाइन की पालना करने की हिदायत दे...
-
मसकनवा- गोण्डा। छपिया ब्लाक के प्रमुख नीलू पासवान के 70 वर्षीय पिता वरिष्ठ अधिवक्ता जगदीश्वर पासवान का गुरुवार सुबह 8 बजे पैतृक गांव औरातो...