बुधवार, 23 फ़रवरी 2022

हकीकुल्लाह चौधरी कॉलेज ऑफ फार्मेसी द्वारा मतदाता जागरूकता रैली का आयोजन किया गया

मैराज शेख

बभनजोत गोण्डा । हकीकुल्लाह चौधरी ग्रुप ऑफ़ इंस्टिट्यूशन के तत्वाधान में हकीकुल्लाह चौधरी कॉलेज ऑफ  फार्मेसी द्वारा  मतदाता जागरूकता रैली का आयोजन किया गया जिसमें हकीकुल्लाह चौधरी पी० जी० कॉलेज  एवं  एम. यू. चौधरी इंटर कॉलेज के छात्र एवं शिक्षकगण शामिल हुए, इस अवसर पर हकीकुल्लाह चौधरी कॉलेज ऑफ फार्मेसी के निदेशक प्रोफेसर जावेद अख्तर ने सभी बच्चों को शपथ दिलाई एवं मतदान के महत्व को समझाया,लगभग 600 छात्र/छात्राओं ने रैली में प्रतिभाग किया,छात्र/ छात्राओं ने हाथ में मतदाता जागरूकता स्लोगन लिखे एवम् बैनर व पोस्टर लेकर क्षेत्र के विभिन्न गांव जैसे घारीघाट करहिया, घारीघाट चौराहा, खोडारे थाना, छगड़ियहवा, पंचायतीया, घारीघाट पोखरा आदि मे भ्रमण कर ग्रामीणों को आगामी 27 फरवरी को संपन्न होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 में अपने मताधिकार का प्रयोग करने हेतु प्रेरित किया गया मतदाता जागरूकता रैली में  हकीकुल्लाह चौधरी कॉलेज ऑफ फार्मेसी के  अल्तमस खान, अबू ताहिर, अरविंद कुमार, सत्य प्रकाश शुक्ल, नुरुल हुदा, शुभम शुक्ला, परवेज अहमद खान, कोमल गुप्ता, बृजमती देवी, विपुल कुमार, हबीबुर्रहमान एवं पी० जी० एवं इंटर कॉलेज के समस्त शिक्षकगण आदि लोगों ने प्रतिभाग किया।

रविवार, 20 फ़रवरी 2022

माकपा के जिला सचिव कामरेड राजीव कुमार के घर के सामने खड़ी उनके वाहन को बीती रात अज्ञात लोगों ने की तोड़फोड़

Gonda: माकपा के जिला सचिव कामरेड राजीव कुमार के घर के सामने खड़ी उनके वाहन को बीती रात अज्ञात लोगों ने तोड़फोड़ कर वाहन को छतिग्रस्त किया है। राजीव कुमार नगर कोतवाली में तहरीर दी है।


इस घटना की माकपा जिला सचिव मंडल सदस्य कामरेड कौशलेंद्र पांडेय, केपी भास्कर, मोहर्रम अली, अब्दुल गनी, मन्ने भाई, आशीष सिंह,स्वामीनाथ, कृष्ण नारायण वर्मा, मनीराम, राम बहोर सहित माकपा के सभी साथियों ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए घटना में संलिप्त लोगों की जांच कर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पदाधिकारियों का कहना है की अगर उक्त घटना को लेकर प्रशासन द्वारा कठोर कार्रवाई नहीं की जाती तो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और उनके जन संगठन धरना प्रदर्शन आंदोलन के लिए बैठे होंगे

सोमवार, 14 फ़रवरी 2022

मसीहाई संस्कृति को नहीं मानते थे आचार्य राम चन्द्र यादव

आचार्य राम चन्द्र यादव की पुण्य तिथि 13 फरवरी पर विशेष ------

पिता जी एक खेतिहर किसान के बेटे थे! 
पिता जी को मस्का मालिश जिससे राजनीति और समाज में व्यवहार कैसे करें का ज्ञान बिल्कुल नहीं था ।यह सब उनके रस्मो रसूख के खिलाफ था।गोरखपुर मुख्यालय गांव से दूर नहीं था फिर भी उनकी आवाजाही कम थी।कभी कभी डीआईओएस कार्यालय और तमकुही कोठी पर जाते और वापस चले आते। इसके अलावा उनकी शहर में कोई दिलचस्पी नहीं थी।बचपन में ज्ञान की सीमाएं सीमित होती है।घर खेत खलिहान यही मेरे इतिहास और भूगोल की हदे थी।चाहते हुए भी कभी उनके साथ हाट बाजार नहीं जा पाया।उस दौर में एक पिता पुत्र की प्रगति भी इतनी सी थी। पिता जी सवाल करते और हमलोगो का सवाल करने की छूट नहीं थी।
कंचन काया,धोती -कुर्ता के ब्रांड,चेहरे पर मोटे ग्लास का चश्मा,छह फ़ीट लंबा बेहद आकर्षक ब्यक्तित्त्व,जहाँ खड़े होते थे मानो कालिदास की समस्त उपमा लेकर खड़े हो। 
प्रारंभिक पढ़ाई अपने ननिहाल विशुनपुरा,गोरखपुर के प्राथमिक पाठशाला से शुरू की।आगे व्यक्तिगत परीक्षार्थी के रूप में विश्वविद्यालय तक का सफर।यह वह दौर था जब गरीब पिछड़े उच्च शिक्षा अर्जित नहीं कर पाते थे।पढ़ने की जिजीविषा ऐसी कि बीस -पच्चीस किलोमीटर पैदल पढ़ने जाते थे।बाढ़ के दिनों में नदियों को तैर कर पार कर जाना आम बात थी।कालांतर में एक प्रतिष्ठित कॉलेज में शिक्षक और प्रधानाचार्य हुए।समय के पाबन्द,स्पष्टवादी कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक होने के साथ केन यूनियन सरदारनगर में डायरेक्टर के रूप में भी प्रतिष्ठित रहे।नैतिक सत्साहस का परिणाम था तमाम  गरीबों की पढ़ाई-लिखाई की फ़ीस आदि दे दिया करते थे।पर उपकार उनके जीवन का मिशन था।इलाके में लोकप्रियता का आलम ये रहा कि उनके भाई दो दशक से बड़ी ग्राम सभा के प्रधान रहे।दूरदृष्टि गजब की थी।संयुक्त परिवार के प्रबल हिमायती थे।
 जिस दौर में परिवार तरक्की के नाम पर टूट गए,सहोदर भाइयो के बीच बोलचाल बन्द हो जाये।माँ-बाप को अपने बच्चों को लेकर लज्जा आने लगे।भाषा से पांडित्य तो लोग बघारते हों,राष्ट्र और राष्ट्रीयता की बातें करते हों लेकिन अपने भाई को पट्टीदार बना लेते हो।ऐसे दौर में आप ने पढ़े-लिखे बेहद अनुशासित एक बड़ा परिवार खड़ा कर दिया।यह उपलब्धि आप को शिरमौर बना दी।खिलाड़ी,किसान और विद्यार्थी यही उनके संवाद के हिस्से थे। वजह था किसान - कबीला पशुपालक संस्कृति से ही उनके व्यक्त्तित्व का निर्माण हुआ था।
 एक कुशल तैराक थे 60 के उम्र में भी भरी नदी को तैर कर पार कर जाते।उनके तमाम पहलवान शिष्य प्रदेश और देश में नाम कमाए।एक मुक़म्मल किताब थे।अध्यापन-अध्यापन के अलावा गॉव इलाके के झगड़े झमेले को पंचायत से हल करने में दिलचस्पी लेते थे।अत्यंत भावुक और सहज व्यक्ति थे आसानी से कोई अपनी बात मनवा लेता था।
अपने बारे में कभी मुगालता या वैशिष्ट्य नहीं पाले। तीज त्योहार में दिलचस्पी नहीं थी।परिवार के अभिभावक के रूप में सफल और सजीव थे अर्थात मुखिया मुख सो चाहिए खान - पान सब एक।उक्त पंक्तियों को परिभाषित करता जीवन।सांसारिक दुर्गुणों से लगभग दूर।यह बात दीगर है कि व्यक्ति में गुण दोष साथ साथ चलते हैं लेकिन जीवन  बैलेंस था। गांव गरीब में मुक्त हस्त से खर्च करते थे।हमको यह याद नहीं है कोई कभी कुछ मांगा और उनसे न पाया हो।कुछ वापस करते कुछ नहीं भी करते।पैसे के बदले ब्याज के शक्त विरोधी थी।
श्रम लोग और अध्ययन शील विद्यार्थियों के कायल थे।
अपने 40 साल के संघर्ष के बाद एक ऐसा परिवार छोड़ कर गए जिसमे आज भी 5 दर्जन से ज्यादा लोग एक साथ खुशी-खुशी रहते हैं।परिजन उनकी स्मृति में विद्यालय और महाविद्यालय बनवाये क्योकि आप को विद्यार्थी और विद्यालय से बड़ा प्रेम था।यह भी एक अप्रिय सच है उनके भौतिक अनुपस्थिति से
परिवार की परंपरा और नेक नियति पर मानो ग्रहण सा लग गया!अब लोग मॉडर्न या विंदास हो गए या मोर्डन होने की नई परिभाषा गढ़ दिए।इसमें दो मत नही है परिवार के स्वास्थ्य में जरूर कमी आ गयी है।मानव मुक्ति के सफर में हुश्न का अब वो इत्तेफ़ाक़ नही रहा।
एक प्रसंग है।शिवरात्रि का दिन था। माता जी घर की महिलाओं के साथ दुग्धेश्वर नाथ मंदिर गई थीं।उस रोज देर शाम को आई।आते ही उन्होंने पूछा - भोजन कर लिए है?न जाने क्यों उस दिन वो  बहुत नाराज थे।डपटते हुए कहे -' भोजन अब तुम लोगो के साथ नहीं करेंगे।'पूरे परिवार में अजीब सा सन्नाटा पसर गया।बहुत मनाने के बाद भी एक साथ भोजन के लिए तैयार नहीं हुए।एक रट लगाए रहे कि अलग भोजन करेंगे तो करेंगे ही।उन्होंने अलग लिट्टी और चोखा लगाया।
उनका गुस्सा कुछ कम हो गया था।भोजन तैयार होने के बाद अपने छोटे भाई के पास आए  और कहे - 'भाई-भाई की भुजा होता है।'भोजन अलग पकने से विचार भी अलग पकने लगते हैं और सहोदर भाई पट्टीदार हो जाता है फिर अपने भाई के साथ भोजन किए।बेहद भावुक संवाद सुनकर परिजन के रोंगटे खड़े हो गए और आंखो से अश्रु निकल पड़े। उनके जीवन के प्रेरक
प्रसंग तो अनेक हैं मसलन किसान नेता स्वर्गीय प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह के हस्तक्षेप से टीचर ट्रेंनिग के लिए नामांकन और 1977 में साइकिल की चोरी जैसे मामले लोक सभा के तत्कालीन सदस्य विशारद ने उनके कहने पर लोक सभा में उठाए,अर्थात जिंदगी के छोटे- छोटे हिस्से को लेकर सजग और सतर्क थे।संस्कृत साहित्य और व्याकरण के अच्छे जानकार थे।जिसका असर बातचीत में दिखाई देता था।उनकी आलमारी प्रेमचंद के साहित्यिक रचनाओं से भरे रहते। महज 22 साल के उम्र में गांव में एक विद्यालय खोलने में महती भूमिका निभाए।हर आम और खास व्यक्ति का बच्चा पढ़े और बढ़े।जीवन भर अपने किरदार से लोगो को प्रेरित करते रहे।उनका भी मानना था शिक्षा वह शेरनी का दूध है जिसे पीकर हर शख्स दहाड़ सकता है। लोकतंत्र में गजब की निष्ठा थी ।चुनावों में बहुत सक्रिय रहते थे। चौधरी चरण सिंह के चुनावी सभाओं,उनके आदर्श और उनसे मुलाक़ात का अक्सर जिक्र करते थे।
 जीवन को सरल और साहसिक बनाया।जीवन की तमाम लड़ाइयां जीतकर नायकत्व को प्राप्त किया।
आप के व्यक्तित्व के सामने हमारी सारी हदे बौनी हैं।आप ने अपने को कभी समझाया नहीं। इंसानों की एक आदत आम है कि वो अपने साथ धोखा करता फिर अपने को समझा लेता। अंदर बाहर सब एक समान स्वांग तो बिल्कुल नहीं।
उनका कहना था यदि खुद से नहीं हारे तो जीत निश्चित है।लक्ष्य निर्धारित करो उसके अनुरूप पढ़ो।बिना लक्ष्य के जीवन कटी पतंग है।आप ने साधारण होने के दौड़ में हमें आगे बढ़ाया।असाधारण बनने की दौड़ अहंकार की दौड़ होती है सदा आप ने अपने आचरण से समझाया।अब वे दिन नहीं आने वाले जब कोई कहेगा बड़ा डिफाल्टर और फिलास्फर है जिज्ञासु।
जिंदगी तब तक खुशगवार नहीं होती जब उसमे गम की हिस्सेदारी न हो।यह गम हमारी जिंदगी का ईंधन हैं जो हमें रचनात्मक बनाता है।हमारी अधूरी इच्छाए पूर्ण इच्छाओ से बड़ी होती हैं।मानव मुक्ति के सफ़र में बीच मार्ग में छोड़कर असमय विदा हो गए। व्यक्ति मर जाता है लेकिन यश सदा जीवित रहते हैं।आप भी सदा जीवित रहेंगे।अपने लगाए विद्यालय रूपी पौधों में,कमजोर की दुआवो में,इलाके के हसते जीवन में,सियासत के नव प्रयोग में जिसको कभी आप ने जीया था।हर वक़्त तमाम बुलंदियों में उदाहरण के रूप में प्रत्यक्ष रहेंगे।भाग्य वालो के लिए कर्म का दर्शन लेकर सदा प्रकाशित रहेंगे।
आप के स्मरण मात्र से जीवन अराजक होने से बचता है,व्यवस्थित रहता है।आप की अनुपस्थिति में दस वर्ष गुजर गए जिस दिन आप को याद न करु तो लगता है कि मैंने कपड़े नहीं बदले,ब्रश नहीं किए।आप के साथ बहुत सी मूल्यवान चींजे चली गई।आप के व्यक्त्तित्व के सामने हमारी सारी हदें बौनी है। वो कड़क आवाज,संस्कृतनिष्ठ हिंदी ,समय से टकराती जीवन शैली सब शून्य में समा गई।अब केवल शून्य को निहार सकते है लेकिन शून्य से उतार नहीं सकते।आप की स्मृति और स्मृति बेचैन करती है।
क्या कहूं और क्या अनकहा छोड़ दू।
आप की पाक स्मृति को नमन।
योगेन्द्र यादव जिज्ञासु

शनिवार, 12 फ़रवरी 2022

इन चुनावों में क्या शोषित वर्ग 'बिस्कुट' के सहारे लड़ेगा अपने हक की लड़ाई

उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव 2022 बिल्कुल चरम पर है. चुनाव का मुद्दा विकास और समाज कल्याण की जगह जात-पात और धर्म की तरफ खिसकता हुआ नजर आ रहा है. हर चुनावों की तरह इन चुनावों में भी राजनीतिक पार्टियों में इस बात की होड़ मची हुई है कि कौन सी पार्टी ज़्यादा से ज़्यादा दबे और पिछड़े तबके का वोट अपनी तरफ कर पाती है. यानि एक बार फिर इन शोषित वोटर्स को लुभाकर, उनका इस्तेमाल करके, उनके वोटों को पाने की पूरी कोशिश की जा रही है. लेकिन शोषितों के खिलाफ अत्याचार की रोजमर्रा की खबरें भी रुकने का नाम नहीं ले रही हैं. 'बिस्कुट' नाम से आई शार्ट फिल्म ऐसी ही संभावनाओं की तलाश करती है.

इन सब ख़बरों के बीच एक शार्ट फिल्म 'बिस्कुट' लोगों के बीच बातचीत का विषय बन चुकी है, क्योंकि इस फिल्म का नायक 'भूरा' एक पिछड़े वर्ग से है और सामान्य से 'बिस्कुट' के माध्यम से अपने सवर्ण मालिक और नेता से बदला लेने की रहस्मय लेकिन बहुत रोमांचकारी रणनीति बनाता है. बिस्कुट एक कठोर, लेकिन प्रेरणाप्रद कहानी है. जो ये बताती है कि कितने रहस्यमयी तरीकों से अपना लोकतंत्र चलता है और ये भी कि कैसे आम आदमी का वोट ही बदले और बदलाव का सबसे ताकतवर हथियार है. ये शॉर्ट फिल्म गोरिल्ला शॉर्ट्स के यूट्यूब चैनल पर रिलीज़ हो चुकी है और उनके पहले से चल रही ऑफबीट सीजन-1 सीरीज का हिस्सा है. गोरिल्ला शॉर्ट्स की दूसरी फिल्में जैसे स्टेशन मास्टर, फूल कुमार और चढ्ढी पहले ही लोकप्रिय हो चुकी हैं.

आप इस नई और दिलचस्प फिल्म बिस्कुट को इस लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं- https://youtu.be/_HopN9PpVl8

निर्देशन के साथ-साथ 'बिस्कुट' फिल्म का स्क्रीन प्ले अमेरिका के वर्जीनिया राज्य में रहने वाले अमिष श्रीवास्तव ने लिखा है. अमिष ने फिल्म स्टडीज के लिए मशहूर अमेरिकी यूनिवर्सिटी यूसीएलए एक्सटेंशन से स्क्रीनप्ले की पढ़ाई की है और न्यूयॉर्क में फिल्म डायरेक्शन सीखा. निर्माता संदीप शांत डेट्रॉइट की टीएसएस फिल्म्स के सीईओ हैं और उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में ही पले-बढ़े. इसलिए वो चाहते थे कि फिल्म किसी सेट पर न होकर उनके गांव में ही शूट की जाए. मुम्बई फ़िल्म इंडस्ट्री से पूरा शूटिंग क्रू और मुख्य ऐक्टर्स बलरामपुर में लगभग दस दिनों के लिए ठहराए गए और ये शूटिंग सात दिनों में ख़त्म हई. शूटिंग हुई बलरामपुर के एक रिमोट गांव सूरत सिंह डीह में.  इस गांव के दर्जनों गांव वालों ने भी फिल्म में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिन्होंने अपने जीवन में कभी फिल्म कैमरा नहीं देखा था. इन सब गांव वालों का होना फिल्म में रियलिटी की फील देता है.

मुख्य कलाकारों में नेटफ्लिक्स सिरीज सेक्रेड गेम्स से चर्चा में आए चितरंजन त्रिपाठी ने गांव के दबंग सरपंच 'नवरतन सिंह 'की भूमिका निभाई है. नायक दलित 'भूरा' की भूमिका निभाई है. अमरजीत सिंह ने जो कि वेब सीरीज़ मिर्ज़ापुर और पाताल लोक में ज़ोरदार भूमिका में रहे हैं. बिस्कुट बनाने वाले 'सत्तन' यानि चेतन शर्मा चर्चित फिल्म आंखो देखी से लेकर पगलैठ तक दर्शकों में अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे हैं.

बिस्कुट फिल्म इटली, अमेरिका, चिले, इंग्लैंड, और कनाडा समेत भारत के दर्जनों फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाई जा चुकी है और बेस्ट निर्देशन, एक्टर, संगीत, समेत बेस्ट सामाजिक फिल्म और बेस्ट ऑडियंस पुरस्कार भी हासिल कर चुकी है. भारत में 'बिस्कुट' पहली बात 7 फरवरी 2022 को गोरिल्ला शॉर्ट्स यूट्यूब चैनल पर रिलीज़ की गई.

Arvind Kumar...

सोमवार, 7 फ़रवरी 2022

गोंडा पचास फीसद बूथों पर होगी सीसीटीवी से निगरानी, कलेक्ट्रेट में बनेगा कंट्रोल रूम

1473 बूथों पर रहेगी तीसरी आंख की नजर

Gonda: विधानसभा चुनाव के मतदान के दिन 27 फरवरी को जिले के 50 फीसद बूथ तीसरी आंख यानी वेबकास्टिंग के माध्यम से सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में रहेंगें। जिला निर्वाचन अधिकारी मार्कण्डेय शाही ने बताया कि विधानसभा निर्वाचन के दृष्टिगत जिले में कुल 2915 बूथ बनाए गए हैं जिनमें से 1473 बूथों पर मतदान के दौरान वेबकास्टिंग सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रहेगी जिसका कन्ट्रोल रूम कलेक्ट्रेट में बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रेक्षक व आला अधिकारी कलेक्ट्रेट से ही सभी 1473 बूथों पर होने वाली हर एक गतिविधि को लाइव देख सकेंगे। उन्होंने बताया कि वेबकास्टिंग हेतु बूथों का चयन संबंधित मतदान केन्द्र की संवेदनशीलता व पुलिस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

       


प्रभारी अधिकारी वेबकास्टिंग/डीडीओ दिनकर विद्यार्थी ने बताया कि वेबकास्टिंग कार्य के लिए 13, 20 व 24  फरवरी को कार्मिकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा जिसमें कार्मिकों को वेबकास्टिंग के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया जाएगा। उन्होंने कहा कि जिले में संवेदनशील, अतिसंवेदनशील व विशेष रूप से चिह्नित बूथों की मतदान के दौरान वेबकास्टिंग कराई जाएगी। सातों  विधानसभा सीटों के 1661 मतदान केंद्रों पर 2915 बूथ हैं। इसके लिए माइक्रो आब्जर्वर के साथ ही 1473 बूथ पर सीसीटीवी कैमरे का भी प्रयोग किया जाएगा तथा मतदान के दिन यहां से मतदान कार्य का सजीव प्रसारण होगा जिसकी मॉनिटरिंग कलेक्ट्रेट से की जाएगी। उन्होंने बताया कि वेबकास्टिंग का उद्देश्य पूर्ण मानकों के तहत स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी एवं शांतिपूर्ण तरीके से मतदान कराना है।

कम्युनिस्ट पार्टी ''मार्क्सवादी'' के पदाधिकारियों बैठक की

 गोंडा/ भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जिला कमेटी गोंडा बलरामपुर की जिला कमेटी बैठक धानेपुर

बाबागंज में सोमवार को संपन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता कामरेड मनीराम ने किया। बैठक में विधानसभा चुनाव में गोंडा/बलरामपुर की सभी विधानसभाओं में पार्टी द्वारा भाजपा को हराने वाले प्रत्याशियों का समर्थन करने का निर्णय लिया गया। बैठक को सम्बोधित करते हुए जिला सचिव कामरेड राजीव कुमार ने कहा की वर्तमान भाजपा सरकार से जनता ऊब चुकी है। भाजपा सरकार की गलत नीतियों के चलते किसान, मजदूर, छात्र नौजवान त्रस्त हैं। पूरे प्रदेश में बेरोजगारी, मंहगाई का बोलबाला है। बैठक में आगामी 23 मार्च शहीद दिवस पर जिला मुख्यालय टाउनहॉल मे जन आंदोलनों में मीडिया की भूमिका और ट्रेड यूनियनों की नजर में शहीदे आजम भगत सिंह विषय पर एक विचार गोष्ठी करने का निर्णय लिया गया। बैठक में कामरेड कौशलेंद्र पांडेय, मोहर्रम अली, स्वामीनाथ, केपी भास्कर, सदानंद गिरी, संतोषी मौर्या उपस्थिति रहे।

रविवार, 6 फ़रवरी 2022

नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने मसकनवा चौराहे पर अखिलेश यादव का पुतला फूंकने का प्रयास

 मसकनवा(गोंडा) समाजवादी पार्टी द्वारा 301 गौरा विधानसभा से पूर्व विधायक राम प्रताप सिंह को टिकट न दिये

 जाने से नाराज सपा कार्यकर्ताओं ने मसकनवा चौराहे पर अखिलेश यादव का पुतला फूंकने का प्रयास किया। जिसे मौके पर पंहुच कर चौकी प्रभारी मुकेश पांडेय ने विफल कर दिया। नाराज कार्यकर्ताओं में मो. इस्माइल, जटाशंकर पांडेय, अनिल कुमार, आदि प्रमुख है।

विश्व हिंदू परिषद के तत्वावधान में ब्रम्ह बाबा स्थान पर संत समागम का आयोजन किया गया

मसकनवा(गोंडा) विश्व हिंदू परिषद के तत्वावधान में ब्रम्ह बाबा स्थान पर संत समागम का आयोजन किया गया। बैठक में कटरा कुटी के महंत स्वामी चिन्मयानंद  महराज  ने कहा कि

हिन्दुओं की सम्मान की रक्षा के लिये सभी को एकजुट होकर गुण्डों, माफियाओं व दंगाइयों को भगाने के लिये ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म व संस्कृति को बचाने के लिये सभी को मतदान करना आवश्यक है। लोकतंत्र में वोट की एकजुटता का ही प्रभाव राजनैतिक दलों को आपकी ताकत का एहसास करता है। बैठक को  धर्मेन्द्र  जी समाजिक समरसता प्रमुख अवध प्रान्त ने भी.संबोधित किया। इस मौके पर ओम प्रकाश, राम कुमार, नीरज कुमार गुप्ता, रमेश कुमार, राम जी, भीमसेन, संजय कुमार, लल्लू गुप्ता, राज कुमार, द्वारिका प्रसाद, भीमसेन, राजन सिंह, माधुरी गुप्ता, अर्चना गुप्ता, पूनम, किरन, सरोज, सुमन आदि मौजूद रहे।

Gorakhpur: अनशन तोड़ने की अपील की



पिछले 10 दिनों से विश्व विद्यालय की अनियमितताओं को लेकर आमरण अनशन पर बैठे डॉ संपूर्णानंद मल्ल के गिरते स्वस्थ्य को लेकर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ( बित्त विहीन गुट) के जिला अध्यक्ष राम उग्रह यादव ने चिंता व्यक्त की।

उन्होंने डॉ साहब के उचित मांगो का समर्थन करते हुए अनशन तोड़ने की अपील की।

गौरतलब है कि डॉ मल्ल अपने चार मांगो को लेकर  आमरण अनशन पर है।उन्हें जिला चिकित्सालय में भर्ती किया गया है।फिलहाल डॉ मल्ल अपने मांगो को लेकर डटे हुए है।

जिला चिकित्सालय में जिला अध्यक्ष शिक्षक संघ के साथ डॉ धन्नजय यादव और समाज सेवी संजय सहज भी थे। सभी भेट कर्ताओं ने तुरन्त राजभवन को उक्त मामले में हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई।

मंगलवार, 1 फ़रवरी 2022

निर्वाचन आयोग ने विधानसभा निर्वाचन के लिए जनपद में दो व्यय प्रेक्षकों को किया नियुक्त

 डीएम ने व्यय प्रेक्षकों के लाइजन अफसरों को किया तैनात, निर्वाचन व्यय सम्बन्धी शिकायतों के लिए लाइजन अफसरों को कॉल कर दर्ज करा सकते हैं शिकायत


विधानसभा निर्वाचन के लिए भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जनपद में दो व्यय प्रेक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है। यह जानकारी देते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी मार्कण्डेय शाही ने बताया कि विधानसभा 296-सदर, 297-कटरा बाजार, 298-करनैलगंज तथा 299-तरबगंज के लिए  जी0जे0 निनावे(आई0आर0एस0) को तथा विधानसभा 295-मुजेहना, 300-मनकापुर व 301-गौरा के लिए वी0 रामानाधा रेड्डी (आईआरएस) को व्यय प्रेक्षक नियुक्त किया गया है।

उन्होंने बताया कि मा0 व्यय प्रेक्षकों के साथ लाइजन अफसर की तैनाती भी कर दी गई जिसमें शिवकुमार यादव, वाणिज्यकर अधिकारी खण्ड-3 मोबाइल नम्बर 7235002974 को  जी0जे0 निनावे तथा अभिषेक निगम वाणिज्यकर अधिकारी, खण्ड-1 मोबाइल नंबर- 7235003052 को व्यय प्रेक्षक वी0 रामानाधा रेड्डी का लाइजन ऑफिसर बनाया गया है। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति निर्वाचन व्यय सम्बन्धी शिकायत के लिए लाइजन ऑफिसर के मोबाइल नम्बर पर काॅल करके शिकायत दर्ज करा सकता है।

सातवां चौरी-चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2-3 फरवरी को

अवाम का सिनेमा


- चौरी चौरा के अनाम क्रांतिकारियों के नाम फिल्म समारोह का दो दिवसीय आयोजन


गोरखपुर: चौरी चौरा जन विद्रोह के सौ वर्ष पूरे होने पर अवाम का सिनेमा का सिनेमा होने जा रहा है। चौरी चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का सातवां संस्करण आनलाइन आयोजित किया जा रहा है। चौरी चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के ज्यूरी चैयरमैन प्रोफेसर मोहन दास ने बताया कि कोविड की वजह से फिल्म समारोह को आनलाइन किया जा रहा है। इस बार दर्शक भारत सहित अर्जेंटाइना, ब्राजील, कनाडा, जर्मनी, इटली, जापान, कोरिया, ताइवान, थाईलैंड टुर्की, अजरबैजान, यूएसएस, यूके, नीडरलैंड और स्वीटजरलैंड आदि देश देशों की चुनिंदा फिल्में प्रदर्शित की जाएगी। जिसे इन देशों के फिल्मकारों ने चौरी चौरा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के लिए भेजी हैं। चौरी चौरा एक्शन के शताब्दी वर्ष पर आयोजित आनलाईन सत्र में फिल्म अभिनेता यशपाल शर्मा, सूरीनाम के प्रसिद्ध सिंगर राज मोहन, फिल्म अभिनेता सत्यकाम आनंद, सुविख्यात पेंटिंग कलाकार भारती दयाल, लिंकन अमेरिकन विश्वविद्यालय, गुयाना के कुलपति एयर मार्शल डॉ. पवन कपूर, चंबल घाटी के क्रांतिकारी लेखक शाह आलम, फोर्ब्स इंडिया के जुड़े सत्या डी सिंहा आदि शिरकत करेंगे। 'अवाम का सिनेमा' सेंट्रल कमेटी से जुड़े अविनाश गुप्ता ने बताया की 3 फरवरी, 2022 को दिन में 2 बजे चौरी चौरा स्मारक पर क्रांतिनायकों के वंशजों का सम्मान किया जाएगा। वहीं 'चौरी चौरा इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल' के संयोजक राम उग्रह यादव ने कहा कि तीन फरवरी को चौरी चौरा एक्शन के महानायक अब्दुल्ला और उनके साथियों की याद में राजधानी स्थित रामचन्द्र यादव इंटर कालेज से शहीद रंग यात्रा निकलकर चौरी चौरा स्मारक पर पहुंचेगी। स्मारक पर तीन बजे अपने लड़ाका पुरखों की याद में सौ दीप जलाकर स्मारक को रोशन किया जाएगा। अवाम के सिनेमा से जुड़े धनंजय यादव ने तैयारियों को लेकर बताया चौरी चौरा स्मारक पर क्रांतिवीरों को सलामी दी जाएगी। हम चौरी चौरा के शहीदों को याद कर देशभक्ति की बयार बहेगी।

'अवाम का सिनेमा’ आजादी आंदोलन की साझी विरासत को नयी पीढ़ी से रूबरू कराने की मुहिम है जो वर्ष 2006 से भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन की विरासत को सहेजने के लिए शुरू हुई थी। धीरे-धीरे यह कारवां बड़ा होता जा रहा है। देश-दुनिया में न सिर्फ इसे समर्थन मिला बल्कि लोगों का लगातार सहयोग भी हासिल होता रहा है। अवाम का सिनेमा देश के अलग-अलग हिस्सों में साल भर कला के विभिन्न माध्यमों को समेटे हुए विविध आयोजन करता है। अयोध्या से लेकर कारगिल तक अवाम का सिनेमा लोगों की मुलाकात जंग-ए-आजादी के शहीदों से कराता रहा है। जिसमें सरोकारी सिनेमा की बड़ी भूमिका रही है।


अवाम का सिनेमा ने अयोध्या, फैजाबाद, मऊ, औरैया, इटावा, बिजनौर, दिल्ली, कारगिल, जयपुर, जम्मू, वर्धा, आजमगढ़, बरहज, चौरी चौरा, कानपुर, गोंडा, बनारस आदि जगहों पर लगातार आयोजन किया है। जहां एक दिवसीय आयोजनों से लेकर साप्ताहिक आयोजन किए जाते रहे हैं। इस दौरान सेमिनार, नाटक, गायन, जादू कला, कठपुतली, लोक संगीत, लोक नृत्य, फिल्म स्क्रीनिंग, चित्र प्रदर्शनी, रंगोली प्रतियोगिता, कविता पोस्टर, मार्च, क्रांतिकारियों की जेल डायरी, पत्र, तार, मुकदमें की फाइल आदि के मार्फत संवाद करने की कोशिश की जाती है। आयोजन के दरम्यान किताबों का विमोचन और नये फिल्मकारों की सरोकारी फिल्में भी रिलीज की जाती रही हैं।


स्वराज पाने की चाहत में कुर्बान हुए चौरी-चौरा विद्रोहियों की याद में अवाम का सिनेमा प्रति वर्ष फिल्म फेस्टिवल का आयोजन करता रहा है।


यहां की क्रांति गाथाएं आज भी लोगों की जुबान पर


1 फरवरी 1922 को सरेआम मुंडेरा बाजार में भगवान अहीर और उनके दो साथियों की पहले से चिढ़े दारोगा गुप्तेश्वर सिंह ने पीट-पीट कर लहूलुहान कर दिया। इसी अपमान की बदौलत 4 फरवरी 1922 थाने को आग लगाना या सिपाहियों की हत्या अकारण नहीं था बल्कि किसी लंबे समय से जमीदारों और पुलिसिया गठजोड़ की दमन का नतीजा रहा है। 4 फरवरी 1922 की सुबह डुमरी खुर्द में हुई जनसभा का उद्देश्य चौरी चौरा थाना जाकर दारोगा गुप्तेश्वर सिंह से भगवान अहीर को पीटने का कारण जानना था। उप निरीक्षक द्वारा अकारण भीड़ पर गोली चलाने से दो सत्याग्रियों की मौके पर मौत हो गई थी। तब सत्याग्रहियों ने अपनी कार्यनीति पर बदलाव करते हुए हिंसक रुख अख्तियार कर लिया। इस एक्शन से प्रभावित होकर संयुक्त प्रांत में हर कहीं जनता ने विद्रोह की शुरुआत कर दी। 4 फरवरी, 1922 को दोपहर बाद 4 बजे किसानों के नेतृत्व में दो हजार से ज्यादा गांव वालों ने चौरी चौरा थाना घेर लिया था। ब्रिटिश सत्ता के लंबे उत्पीड़न और अपमान की प्रतिक्रिया में थाना भवन में आग लगा दी। जिसमें छुपे हुए 24 सिपाही जलकर राख हो गए। चौरी चौरा प्रकरण में 273 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जबकि 54 फरार हो गए थे। इनमें से एक विद्रोही की मौत भी हो गई थी। 272 में से 228 पर मुकदमा चला, मुकदमे के दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। जिससे 225 लोगों के खिलाफ ही फैसला आया। ‘किंग एंपायर बनाम अब्दुलाह अन्य’ के नाम से सेंशन कोर्ट में चले मुकदमे में गरीब ज्यादा लोग थे।

16वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल संपन्न, ऐतिहासिक रहा आयोजन

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