रविवार, 30 मई 2021

परिवार विशेष: कोरोना काल में कारगर सिद्ध हो रहे हैं संयुक्त परिवार


कोरोना संक्रमण के दौर में बेहद कारगर साबित हो रहे हैं संयुक्त परिवार।यद्यपि कि संयुक्त परिवारो का चलन तो भारत में प्रारंभ से ही रहा है जिसके माध्यम से बड़े से बड़े  कष्ट को संयुक्त परिवार झेल लेते थे परन्तु ब्रिटिश काल में संयुक्त परिवारों पर गहरा आघात किया गया रही सही कसर उदारीकरण ने पूरी कर दी और परिवार नामक संस्था टूट कर बिखर गई।तमाम घात प्रतिघात और द्वंद्व के बीच  गोरखपुर जनपद में छत्रधारी यादव का परिवार एक नजीर है --
हताश होते जीवन और बढ़ती वैमनष्यता के लिए परिवारों के टूटन भी जिम्मेदार है।व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा ने सार्वजनिक हित की हमारी परंपरा को भारी ठेस पहुँचाई है।जब परिवार तरक्की के नाम पर टूट गए।सहोदर भइयो के बीच बोल-चाल बन्द हो।माँ-बाप के लिए अनाथालय अस्तित्व में आ गए हो।
गोरखपुर मुख्यालय से 27 किलोमीटर दूर विकास -खण्ड ब्रह्मपुर में स्थित जिले की बड़ी गाँव सभाओ में से एक ऐतिहासिक महत्व वाले गांव 'राजधानी' एक संयुक्त परिवार के कारण भी चर्चा का केंद्र बना रहता है।यद्यपि कि इस गांव का समीकरण बुद्ध कालीन गणराज्य पिपलिवन से लगाया जाता है।असहयोग आंदोलन के दौरान हुए चौरी -चौरा कांड के नायक अब्दुल्लाह जिनके खिलाफ ब्रिटिश हुक़ूमत बनाम अब्दुल्लाह का मुकदमा चला था और कई नाम राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़े है जो इसी गांव के हैं।
ऐतिहासिक महत्व वाले इस गांव में संयुक्त परिवार के अनिवार्य शर्तों मसलन एक तवे की रोटी,एक छत का निवास,तीन पीढ़ियों का साथ,सम्मलित आय,सम्मलित तरक्की आदि के साथ रहता है यह कुनबा।
आवास चार खण्डों में विभक्त है जिसमे भोजनालय , गौशाला,अतिथिशाला और आवास।आवास के बगल में वाटिका ,ट्यूवेल और अच्छी बिजली के लिये ट्रांसफार्मर और शुद्ध जल के लिए जलकल केंद्र है।
गांव के किसान और पशुपालक राजबली यादव के चार पुत्र और एक पुत्री है जिनके बड़े पुत्र जिले के प्रतिष्ठित कॉलेज के प्राचार्य रह चुके स्वर्गीय रामचन्द्र यादव ने प्रारम्भ में शिक्षा का अलख जगाकर परिवार को शून्य से आगे बढ़ाया।दूसरे पुत्र राम कवल यादव जो दिवंगत है एक मजे हुए किसान थे।तीसरे पुत्र छत्रधारी जो उच्च शिक्षित हैं जो एक कॉलेज के अवकाश प्राप्त प्रधानाचार्य हैं और गांव के वर्षो तक प्रधान रहे।
पुत्री गिलासी देवी की शादी पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारी आर.एस यादव से वाराणसीे में हुई है।चौथे पुत्र पौहारीशरण यादव पूर्वी रेलवे कोलकाता में स्पोर्ट्स के जनरल सेक्रेटरी रहे हैं।
परिवार के मुखिया ग्राम प्रधान छत्रधारी यादव अपना आदर्श अपने बड़े भाई स्वर्गीय आचार्य राम चन्द्र यादव को मानते है उनका कहना है भाई-भाई की भुजा होता है।संयुक्त परिवारों में बिपत्ति को झेल जाने की अद्भुत क्षमता होती है।बच्चो के लालन -पालन में आसानी होती है।
परिवार में कार्य का विभाजन है सुधाकर यादव खेती किसानी और पशुपालन की जिम्मेदारी सम्भालते हैं उनके सहयोग के लिए गांव के गुलहसन और भरत हैं।
सब्जी और दूध के लिये परिवार बाजार पर आधारित नही है उक्त जरूरतें पुश्तैनी खेती और पशुपालन से पूरा हो जाता है। दिवाकर यादव उत्तर-प्रदेश परिवहन में ट्रैफिक इंस्पेक्टर है।जबकि अखिलेश रेलवे,शैलेश पुलिस,कमलेश सेना,सुरेश यादव पंचायत राज विभाग ,गिरिजा देवी बाल एवम पुष्टाहार विभाग और सतपाल इंजीनियर हैं।
परिवार के आदर्श रामचन्द्र यादव के नाम से आर सी चिल्ड्रेन, राम चन्द्र यादव इंटर कॉलेज और डिग्री कॉलेज है जिसकी जिम्मेदारी उच्चशिक्षित रामउग्रह यादव और डॉ राकेश यादव निभाते हैं।
परिवार के योगेंद्र यादव 'जिज्ञासु ',डॉ रेणु ,सुचित्रा ,उमेश यादव,सुचिता और जयंती  शिक्षक हैं।
 दीपिका,प्रियम्वदा,ममता,रतन  पाल ,कुंवरपाल , रतनपाल समरपाल,गौरव राजदीप आदि उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं
धर्मपाल ,कृष्णपाल,शौरभ, पार्थ, प्रज्वल,उज्ज्वल,पथ्या,गार्गी ,निशांत ,शिवांगी,नितिन,आदेश अविरल,दीपशिखा व स्वधा आदि के स्कूली दिन हैं।
परिवार को सजोने में वयोवृद्ध छबिया देवी,शांति और चंद्रावती देवी की विशेष भूमिका है।भोजन घर की महिलाएं मिल-जूल कर बना लेती हैं।शादी-विवाह,तीज त्योहार सब में गज़ब का मेल- जोल होता है।इस परिवार में रोज होली दीवाली का माहौल होता है।
भारत में संयुक्त रहने की परंपरा रही है उदारीकरण के बाद परिवार तेजी से टूटे है सहोदर भाई,चाचा,बुआ चाची, दादी जैसे शब्द दस्तावेज का रूप लेने वाले है ऐसे में यह परिवार बतौर मिशाल पूरी एकजुटता से स्वस्थ्य परंपरा को निभाने में लगा है।
जबसे उदारीकरण शुरू हुआ एक अलहदा प्रयोग शुरू हुआ।औद्योगिक घराने अपने व्यापारिक हित के लिए संयुक्त होते हैं लेकिन संयुक्त रहने की सम्वेदनशील और शर्तें लागू नहीं होती है।
समाज शास्त्रियों का कहना है-- ''परिवारों को टूटन से बचाया जा सकता है --- इसके लिए जरूरी है अनुशासन ,संस्कार,रोजगार परख शिक्षा और नैतिक मूल्य।अगर परिवारों में विभाजन रुक जाय तो तमाम समस्याएं अपने आप हल हो जाएँगी।वास्तव में विभाजन एक अंतहीन दर्द है। रिश्ते नाते और मजबूत परम्परा के अनुपस्थति के दौर में ऐसे परिवारों की उपस्थिति एक मिशाल है। परिवार के एक जिम्मेदार प्राचार्य राम उग्रह यादव ने बेबाकी से संयुक्त परिवारों की महत्ता पर कहते हैं -- एकल परिवार कमजोर और कहीं न कहीं झूठी मर्यादा और खोखले पन  से अभिशप्त हैं और  संक्रमण के दौर में एकल परिवार लाचारी और बेवशी के शिकार हैं। इसके उलट संयुक्त परिवार निश्चित ही मजबूत और दुःख से लड़ने में सक्षम हैं।

योगेन्द्र यादव ' जिज्ञासु
राजधानी,गोरखपुर।

इंसानियत शर्मसारः बलरामपुर में राप्ती नदी में फेंका कोरोना संक्रमित शव, परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज


बलरामपुर। जिले में एक चौंकाने वाला वीडियो सामने आया है। इसमें कोरोना से मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार करने की बजाय परिवार और हेल्थ वर्कर उसे राप्ती नदी में फेंक रहे हैं। वीडियो में जिस व्यक्ति ने पीपीई किट पहन रखी है, उसे अस्पताल का स्टाफ बताया जा रहा है।
घटना कोतवाली नगर क्षेत्र के राप्ती नदी पर बने सिसई घाट पुल की है। वीडियो में दो युवक एक शव को राप्ती नदी के पुल से नदी में फेंकते हुए नजर आ रहे हैं। शव को राप्ती नदी में फेंके जाने के समय वहां से गुजर रहे किसी व्यक्ति ने यह वीडियो बनाया है।
शव फेंकने वाले दोनों युवकों की पहचान हो गई है। दोनों मृतक के परिवार के ही सदस्य हैं। इनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है। लेकिन सवाल ये खड़े हो रहे हैं कि ये तो सिर्फ एक वीडियो है, जिसमें पता चल गया कि शव फेंका जा रहा है। लेकिन क्या और भी शव राप्ती फेंके जा रहे हैं? जिनके जवाब मिलने बाकी हैं।
सीएमओ डॉ. विजय बहादुर सिंह ने बताया कि राप्ती नदी में फेंका गया शव सिद्धार्थनगर जिले के शोहरतगढ़ के रहने वाले प्रेम नाथ मिश्र का है। 25 मई को कोरोना संक्रमित होने पर उन्हें एल टू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 28 मई को इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी।
सीएमओ ने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत मृतक के शव को उनके परिजनों को सौंप दिया गया था। कोतवाली नगर में महामारी एक्ट में केस दर्ज करा दिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

शुक्रवार, 28 मई 2021

निधन: पूर्व प्रधान का कोरोना से निधन, क्षेत्र में शोक की लहर


गोरखपुर: जनपद के ब्रह्मपुर ब्लॉक के मझवा  नटवा गांव के पूर्व प्रधान शिवकुमार यादव का करोना संक्रमण से गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।
गौरतलब है कि पूर्व प्रधान शिवकुमार यादव आजीवन समाजवादी निष्ठा से बधे रहे।इलाके में अत्यन्त लोकप्रिय और जिंदादिल शख्शियत के मालिक थे। उनके दो पुत्र राधेश्याम और घनश्याम हैं। जबकि उनकी पत्नी वर्षों पहले दिवंगत हो चुकी है।
उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पूर्व प्राचार्य छत्रधारी यादव ने उनके निधन को व्यक्तिगत क्षति बताया।वहीं राम उग्रह यादव ने कहा कि प्रधान जी बेहद नेक और दरियादिल व्यक्ति थे। पूर्व प्रबंधक आर एस यादव ने उनको याद करते हुए कहा कि वे बेहद हसमुख और जबाज व्यक्ति थे।
उनके निधन पर पौहारी शरण यादव, डॉ राकेश यादव,योगेन्द्र यादव जिज्ञासु और उनके परिजन कमला शंकर,शिव शंकर,रमाशंकर और राजकुमार आदि ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

गुरुवार, 27 मई 2021

आपदा और हेल्थ: कोरोना की तीसरी और खतरनाक लहर से बच्चों को कैसे बचाएं?

आपदा में हेल्थ: कोरोना वायरस की दूसरी लहर का कहर अभी ख़त्म नहीं हुआ है कि एक्सपर्ट्स तीसरी लहर की चेतावनी भी दे रहे हैं. एक्सपर्ट्स के अनुसार भारत में तीसरी लहर भी आएगी, जो खासतौर से बच्चों के लिए ख़तरनाक साबित हो सकती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि आने वाले कुछ महीनों में ज्यादा से ज्यादा वस्यकों को वैक्सीन लग जाएगी, वहीं बच्चों को वैक्सीन न लगने की वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा. बच्चों के लिए इस वक्त वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. अभी तक के अनुभवों से पता चला है कि कोरोना वायरस बहुरुपियों की तरह अलग-अलग रूपों में वार करता है. आशंका जताई जा रही है कि बच्चों में इसका संक्रमण बड़े-बुजुर्गों की अपेक्षा अलग रूप में होगा.
ऐसे में अब मुख्य प्रश्न यही है कि कोरोना की तीसरी घातक लहर में बच्चों को कैसे बचाएं. माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता स्वयं से ज्यादा बच्चों को संक्रमण से बचाने की है. बच्चे अभी तक घरों में रह रहे हैं. ऐसे में बच्चों में संक्रमण अभी तक निम्नतम स्तर पर ही हुआ है. परंतु तीसरी लहर में मुख्य रूप से नवजात शिशुओं से लेकर किशोर वयस्क (14 से 15) साल तक के बच्चों में संक्रमण ज्यादा होने की संभावना है. क्योंकि इस आयु वर्ग के बच्चे अभी तक कोरोना की वैक्सीन से अछूते रहे हैं. पूर्व के अनुभवों से यही पता चला है कि बच्चों की इम्युनिटी का उच्च स्तर ही उन्हें संक्रमण से सुरक्षित रख सकता है. बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता उच्च बनाए रखने के लिए मुख्य रूप से तीन बिंदुओं पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है.
1. खान-पान : बच्चों के खान-पान में पोषण की मात्रा भरपूर हो. बच्चे खाने से कतराते हैं, इसलिए खाना सुपाच्य और आकर्षक हो. भोजन में प्रोटीन, कैलोरी और कॉर्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में हो.
प्रोटीन : दूध, पनीर, अंडा, दालें और न्यूट्रिला बच्चों को अवश्य दें. कुछ बच्चे दाल नहीं खाते हैं. ऐसे में इनको आटे में भरकर कचौड़ी, टिक्की या कटलेट बनाकर दें. बेसन का चिला या पनीर पकौड़ा बनाकर दे सकते हैं.
सब्जियां : रंगीन सब्जियों का अधिक प्रयोग करें, जैसे कि गाजर, चुकंदर, खीरा और ककड़ी. ये फाइबर के साथ हमारे शरीर को हाइड्रेट करता है. बीच-बीच में नीबू पानी बच्चों को दें. बच्चे पत्ते वाली सब्जियों को पसंद नहीं करते, इनको आटे में सानकर रोटी या पराठा बनाकर दें. 
फल : रंगीन फलों का प्रयोग करें, जिसमें विटामिन प्रचुर मात्रा में होता है, जैसे- अनार, सेब, संतरा, अमरूद और नाशपाती. मौसमी फल जैसे तरबूज और खरबूज खिलाएं. यदि बच्चे फल न खाएं तो शेक बनाकर दें. 
सूखे मेवे : यदि बच्चे सूखे मेवे न खाएं तो मेवे को रात में पानी में भिगोकर पीसकर दूध में पकाकर हल्दी और शहद डालकर दें. ये बहुत ही पोषक तत्व से भरपूर होगा. 
2. साफ-सफाई : व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ ही घर में साफ-सफाई रखना बहुत जरूरी है. बच्चों को साबुन से दिन में हर घंटे हाथ धुलने के लिए प्रेरित करें. इसके अलावा घर में ज्यादा छूने वाली चीजें जैसे डायनिंग टेबल, दवाएं या बाथरूम की टोंटी आदि जगहों को बराबर साफ करते रहें. घर के बड़े लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वह स्वयं को संक्रमण से मुक्त रखने की कोशिश करें. यह न समझें कि तीसरी लहर सिर्फ बच्चों के लिए ही घातक है. घर के सभी सदस्य वैक्सीन लगवा लें, क्योंकि बड़े लोग ही बाहर से संक्रमण लेकर आएंगे. बच्चों को मास्क लगाना बताएं. यदि एन95 मास्क नहीं है, तो दो मास्क लगाएं.
3. व्यायाम और खेलकूद : माता-पिता बच्चों को व्यायाम के लिए प्रेरित करें. यदि माता-पिता बच्चों के साथ में ही योग करें तो वे ज्यादा प्रेरित होंगे. कोरोना काल के दौरान बच्चे घर के अंदर खेले जा सकने वाले खेल खेलें.
सौरभ विभूषण
डाइटिशियन
एसजीपीजीआई, लखनऊ

आपदा में शिक्षा: वैरन खत से वर्चुअल मीटिंग तक के खतरे और समाधान

● विद्यामाता नाराज न हो जाए
   इसलिए बस्ते को छू कर सलाम करना स्थाई आदत थी

● पढ़ाई का तनाव हमने पेन्सिल का पिछला हिस्सा           चबाकर मिटाया था

पुस्तक के बीच पौधे की पत्ती और मोरपंख रखने से हम होशियार हो जाएंगे ऐसा हमारा दृढ विश्वास था.. 
कक्षा आठवीं तक देवरहा बाबा का फोटो औजार बॉक्स में बराबर बना रहा हमारी ऐसी मान्यता थी उनके रहने से गणित में कृपांक का झमेला नहीं रहेगा।
कपड़े के थैले में किताब कॉपियां जमाने का विन्यास हमारा रचनात्मक कौशल नहीं था.. 
हमारे बड़े भाई वकील साहब इसके महारथी थे।
हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते तब कॉपी किताबों पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का वार्षिक उत्सव नहीं था.. यह भी अनुकरण पर आधारित था अन्य सहपाठी इसको वार्षिक उत्सव के रूप में ही सेलिब्रेट करते।
माता पिता को हमारी पढ़ाई की कोई फ़िक्र नहीं थी.. न हमारी पढ़ाई उनकी जेब पर बोझा थी.. सालों साल बीत जाते पर माता पिता के कदम हमारे स्कूल में न पड़ते थे । अलबत्ता  हम पिता जी के अंडर प्रेशर थे।
एक दोस्त को साईकिल के डंडे पर और दूसरे को पीछे कैरियर पर बिठा हमने कितने रास्ते नापें हैं , यह अब याद नहीं बस कुछ धुंधली सी स्मृतियां हैं.. 
कक्षा तीन में सुदामा मास्टर के डंडे से कभी इगो नहीं टकराया दरअसल हम जानते ही नही थे कि ईगो होता क्या है ?
पिटाई हमारे दैनिक जीवन की सहज सामान्य प्रक्रिया नहीं कक्षा के बहुतेरे लडके इस प्रक्रिया में शामिल थे। ,"पीटने वाला और पिटने वाला दोनो खुश थे" , 
हम अपने माता पिता को कभी नहीं बता पाए कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं,क्योंकि हमें "आई लव यू" कहना नहीं आता था.. 
आज हम गिरते -सम्भलते ,संघर्ष करते दुनियां का हिस्सा बन चुके हैं , कुछ मंजिल पा गये हैं तो कुछ न जाने कहां खो गए हैं.. 
हम दुनिया में कहीं भी हों लेकिन यह सच है, हमे हकीकतों ने पाला है ,हम सच की दुनियां में थे.. 
कपड़ों को सिलवटों से बचाए रखना और रिश्तों को औपचारिकता से बनाए रखना हमें कभी नहीं आया इस मामले में हम सदा मूर्ख ही रहे.. 
अपना अपना प्रारब्ध झेलते हुए हम आज भी ख्वाब बुन रहे हैं , शायद ख्वाब बुनना ही हमें जिन्दा रखे है, वरना जो जीवन हम जीकर आये हैं उसके सामने यह वर्तमान कुछ भी नहीं.. 
हम अच्छे थे या बुरे थे पर हम एक साथ थे,काश वो समय फिर लौट आए..
मौत के सूचना पर हम रोते थे बहुत दुःखी होते थे लेकिन हाल के वर्षों में हम दार्शनिक हो गए मृत्यु को उत्सव के रूप में मनाने लगे है।
माई की जिजीविषा अब भी है वह अगले साल के लिए आज भी अचार बनाती है। अब भी उतना ही जीवट है जितना पहले । ये जेनरेशन का फर्क है।
हमारी पीढ़ी वो आखिरी पीढ़ी है - बैरंग खत से लाइव चैटिंग और वर्चुअल मीटिंग एक साथ देखी।हम आखिरी लोग है जो बालों में सरसो का तेल गभोर कर स्कूल और शादियों में जाते थे।
हम खूबसूरत रिश्ते और उनकी मिठास बांटने वाले लोग देखे हैं जो लगातार कम होते गए।
हमने बदले माहौल में खुदगर्जी, बेमुराववती,अनिश्चितता अकेलापन और निराशा भी देखी
अविश्वसनीय सा नजारा देखा। 
जब अपनी ही नाक और मुंह को छूने से डरते है लोग।सब कुछ बदल गया लेकिन यह बदलाव अंदर से हिला दिया।
हमारा जीवन किसी उपन्यास से कम पठनीय नहीं होता।कुछ लोग आगे चलकर अपाठ्य गद्य हो जाते हैं,जिनके भीतर संवेदना और जिंदादिली बची रहती है,वो अपनी लय और ध्वनि को दोहराते रहते है।इस जानलेवा बदलाव और अपने लय को पुनः प्राप्त करने के लिए छायादार वृक्ष लगाने पड़ेंगे।नदी नाले तालाब बचाने पड़ेंगे।यह बिल्कुल सम्भव है कि पहाड़ तोड़ कर अय्याशी का अड्डा बनेगा तो पृथ्वी एक न एक दिन जरूर डोल जाएगी।कीड़े से लडने के लिए इंसान को अपनी अय्याशी रोकनी पड़ेगी।प्रकृति को जीना पड़ेगा।
✍️योगेन्द्र यादव जिज्ञासु

बुधवार, 26 मई 2021

विरोध: किसान मजदूर संगठनों ने मनाया काला दिवस, किए गए नजरबंद

गोंडा: संयुक्त किसान मोर्चा, सीआईटीयू, उप्र खेत मजदूर यूनियन, किसान यूनियन, भारत की जनवादी नौजवान सभा के संयुक्त आवाहन पर 26 मई राष्ट्र व्यापी काला दिवस मनाते हुये सरकार की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुये विभिन्न संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन में सीआईटीयू, किसान सभा, किसान यूनियन, भारत की जनवादी नौजवान सभा, यूपीएमएसआरए, आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन आशा कर्मचारी यूनियन मिड डे मील कर्मचारी यूनियन सहित अन्य जनसंगठनों ने हिस्सा लिया। विरोध प्रदर्शन को देखते हुये स्थानीय प्रशासन काफी सतर्क रहा। विरोध प्रदर्शन के लिये जा रहे उप्र खेत मजदूर यूनियन के जिला संयोजक खगेंद्र जनवादी, गंगाराम भारती किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष दीपक वर्मा, जिला सचिव सतीश वर्मा को छपिया पुलिस ने घर पर ही रोक दिया। संगठनों के लोगों ने प्रधानमंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री को संबोधित दस सूत्री मांगपत्र जिलाधिकारी गोंडा को ई मेल के माध्यम से व बभनजोत ब्लाक, इटियाथोक ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी के माध्यम से भेजा गया। दिये गये मांगपत्र में कोरोना महामारी से बचाव व संभावित तीसरी लहर को देखते हुये पर्याप्त ऑक्सीजन, बेड, बेंटीलेटर्स, दवाइयां और नर्सिंग स्टाफ की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने, सभी को मुफ्त टीकाकरण और गैर करोना मरीजों की सभी बीमारियों का उपचार शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू किये जाने, सभी जरूरतमंदों को दस किलो मुफ्त अनाज व गैर आयकर दाताओं के खाते में साढ़े सात हजार रुपए छ माह तक खाते में नगद हस्तांतरण किये जाने, मनरेगा में दो सौ दिन का काम व छ सौ रुपए मजदूरी दिये जाने, तीनों काले कृषि कानूनों, विजली बिल 2020 व मज़दूर विरोधी चार श्रम कानूनों को रद्द किये जाने, एमएसपी की कानूनी गारंटी दिये जाने, छ माह से चल रहे किसान आंदोलन की मांगों को स्वीकार किये जाने, बाइस हजार करोड़ रुपए की लागत से बन रहे सेंट्रल विस्टा के निर्माण को रोककर उस धन को आधुनिक संसाधन युक्त अस्पतालों का निर्माण किये जाने, कोरोना फ्रंट लाइन वर्करों को सभी सुरक्षा उपकरण व पचास लाख रूपये का जीवन बीमा किये जाने, सभी संविदा व ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को स्थायी करने के साथ साथ कम से कम इक्कीस हजार रुपए प्रतिमाह वेतन दिये जाने, महंगाई पर रोक लगाते हुये पेट्रोल डीजल के दाम कम किये जाने, केरल माडल को अपनाते हुये उप्र में भी कोरोना के समय में बिजली, पानी, राशन मुफ्त में दिये जाने, आंदोलनों पर लगायी गयी रोक को हटाकर जनतांत्रिक व मानवाधिकारों का दमन और नफरत की राजनीति बंद किये जाने, प्रदेश में गेहूं किसानों के साथ हो रही लूट को बंद कर एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित कराने, सरकारी क्रय केंद्रों पर पर अवैध वसूली को तत्काल रोके जाने की मांग शामिल है। विरोध प्रदर्शन व मांगपत्र भेजने वालों में सीआईटीयू के राज्य कमेटी सदस्य कामरेड कौशलेंद्र पांडेय, डीवाईएफआई के जिला सचिव आशीष सिंह,किसान सभा के जिला संयोजक राजीव कुमार, किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष दीपक वर्मा, जिला सचिव सतीश वर्मा, यूपीएमएसआरए शशिकांत मिश्रा, विनीत तिवारी, राजेश मिश्रा, रोबी गांगुली, आशा कर्मचारी यूनियन के मंडल संयोजक श्याम बरन पांडेय, जिला अध्यक्ष निर्मला पांडे, दिलीप यादव, दिवाकर सिंह, आलोकित सिंह, बुधराम मौर्या, राजेश कुमार, अख्तर, रजनीश सिंह, जान्हवेंद भास्कर, जान्हवी, राहुल, राधेश्याम गुप्ता, आशीष जैसवाल, हरिओम पांडेय, जय नारायण शुक्ला, गिरजावती मजहबी, रुबीना बानो,अनीता, नीलम बाथम, सलमा परवीन,मंजेश कश्यप सहित किसान मज़दूर, छात्र नौजवान संगठनों के तमाम लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुये विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।

रविवार, 23 मई 2021

शोक सभा: समाजवादी कार्यकर्ताओं ने पूर्व कैबिनेट मंत्री को शोक सभा कर दी श्रद्धांजलि।

मसकनवा-गोण्डा। मसकनवा खालेगांव स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय पर पूर्व कैबिनेट मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ (पंडित सिंह) को समाजवादी कार्यकर्ताओं ने शोक सभा कर दी श्रद्धांजलि। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रुप मे पूर्व एस.सी.एसटी आयोग के मंत्री संजय कुमार विद्यार्थी ने पुष्प अर्पित करते हुए कहा कि पूर्व मंत्री निधन से हम सब कार्यकर्ताओं को गहरा दुःख व पीड़ा हुआ। उन्होंने कहा कि हम सब एक ऐसे जननेता को खो दिया है। जो समाज के हर व्यक्ति को साथ लेकर चलते थे। आज उनके न रहने से उनकी कमी हमेशा रहेगी। वही कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे। अधिवक्ता अम्बुज त्रिपाठी ने कहा कि पूर्व मंत्री (पंडित सिंह) निधन से मुझे व्यक्तिगत दुःख व पीड़ा हुआ है। उन्होंने कहा कि समाज के हर व्यक्ति से जुड़े हुए नेता थे। कार्यक्रम में सभी वर्गो के लोगों ने शोक सभा में पहुंच कर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर घनश्याम पाण्डेय, पहलवान यादव,विकास यादव,राजेश वर्मा,आशुतोष मिश्रा, दिनेश पाण्डेय,रिजवान खान,सोनु कुमार,सूरजभान,विजयकुमार,शिवशंकर,शिवकुमार,मजनू,सुरेश,साबिर,अनिल, आदित्य,कनिकराम जयसवाल,अनिल कुमारमिश्रा,सुशील पाण्डेय, शहजाद अली,आंनद तिवारी,मोहित पाण्डेय,मो अलताफ, हर्ष चौधरी, मो सरवर, बौनी,राहुल,आशुतोष मिश्रा, विपुल आदि लोग उपस्थित रहे ।

शुक्रवार, 21 मई 2021

सरहनीय: छपिया पुलिस ने अलग-अलग मामलों में पांच को किया गिरफ्तार

छपिया-गोण्डा। छपिया पुलिस ने अलग अलग मामलों में पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। एस ओ छपिया राकेश कुमार सिंह ने बताया कि रिषिकपूर सिंह गढहा को चारू ताल पुलिया के पास व अजय शर्मा बभनजोतिया को नगरा बुजुर्ग तिराहे के पास चाकू के साथ गिरफ्तार किया गया। वहीं मारपीट और गाली गलौज पर आमादा झुरई सिंह चौहान पिकौरा बुजुर्ग अलाउद्दीन, अजीमुदीन निवासी इटैला बुजुर्ग के विरुद्ध शांति व्यवस्था भंग करने की कार्यवाही की गयी है।

मसकनवा: कोविड नियमों को दरकिनार कर शुरू हुआ 18 साल अधिक, 45 साल से अधिक व्यक्तियों का टीकाकरण

मसकनवा-गोण्डा। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मसकनवा में कैम्प लगाकर टीकाकरण किया गया। 18 साल से अधिक और 45 साल से अधिक के लोगों का टीकाकरण और रजिस्ट्रेशन दोनों प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मसकनवा में किया गया । रजिस्ट्रेशन और टीकाकरण के दौरान काफी भीड़ लगी रही। कोविड नियमों का पालन नहीं किया गया। भीड़ लगी रही। छपिया और आसपास के कस्बों और गांवों से आ कर लोगों ने टीकाकरण कराया।18 से 45 साल से अधिक लोगों में कोविड टीकाकरण के लिए करीब एक सप्ताह तक का आन लाइन रजिस्ट्रेशन कराया जा चुका हैं।शुक्रवार को टीकाकरण किया गया। कुल मिलाकर 18 साल से अधिक आयु वाले  178 लोगों का टीकाकरण किया गया। तो वही 45 साल से अधिक के 20 लोगों का टीकाकरण किया गया। बीडीओ जगदीश प्रसाद यादव ने बताया कि टीकाकरण सही ढंग से चल रहा है। एडीओ नंद लाल राम, देवेश श्रीवास्तव, माधुरी सिंह, माया सिंह, गीता, सुशीला वर्मा, रीमा, गीता रानी शुक्ला, जानकी देवी, शशि, अनूप रहे।

सोमवार, 17 मई 2021

छपिया। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर विधायक प्रभात वर्मा ने 18 साल के ऊपर के लोगों के वैक्सीन अभियान का फीता काटकर उद्घाटन किया।उन्होंने कहा कि 18 वर्ष  से ऊपर के सभी नागरिक अपना रेजिस्ट्रेशन करा कर अपनी बारी आने पर टीका अवश्य लगवायें।टीकाकरण के प्रति लोग जागरूक हो। एस डी एम हीरा लाल ने कहा कि शासन की मंशा है कि सभी को अच्छी स्वास्थ्य सेवा मिलनी चाहिए। 18 वर्ष की उम्र से अधिक आयु वाले कोविड टीका जरूर लगवाये।उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्तर पर विशेष अभियान चला कर टीकाकरण कराया जायेगा।वी डी ओ जगदीश प्रसाद यादव, नायब तहसीलदार, चिकित्सा अधीक्षक डॉ आलोक सिंह,एस ओ राकेश कुमार सिंह,डॉ जे पी वर्मा, 
विक्रम,रघुनंदन पाडेय,पंचलाल प्रजापति,शिवकुमार,दीपक, अरविंद,जय कुमार,सुरेंद्र नाथ तिवारी,आर एस यादव,अनीश श्रीवास्तव,यशवंत राय,धर्मेन्द्र सिंह,राजन सिंह,ओ पी तिवारी रहे।

शुक्रवार, 14 मई 2021

Business: Airtel Payments Bank ने लॉन्च किया 'डिजीगोल्ड' प्लेटफॉर्म, सोने में निवेश करना होगा आसान

कानपुर/गोंडा. अपनी डिजिटल सेवाओं के विस्‍तार के हिस्‍से के तौर पर, एयरटेल पेमेंट्स बैंक ने आज यानी शुक्रवार को डिजिटल सोने के अग्रणी प्रदाता सेफगोल्‍ड की साझेदारी में डिजिगोल्‍ड लॉन्‍च किया है. एयरटेल पेमेंट्स बैंक के बचत खाते के ग्राहक एयरटेल थैंक्‍स एप का इस्‍तेमाल कर डिजीगोल्‍ड से 24 कैरट सोने में निवेश कर सकते हैं. ग्राहक अपने परिवार और उन दोस्‍तों को डिजीगोल्‍ड उपहार में भी दे सकते हैं, जिनका एयरटेल पेमेंट्स बैंक में बचत खाता है.
ग्राहकों द्वारा खरीदा गया सोना, बिना किसी अतिरिक्‍त शुल्‍क के सेफगोल्‍ड के पास सुरक्षित रहता है और उसे एयरटेल थैंक्‍स एप के माध्‍यम से कभी भी केवल कुछ क्लिक करके बेचा जा सकता है. इसमें न्‍यूनतम निवेश राशि की कोई जरूरत नहीं है और ग्राहक केवल एक रुपए से शुरूआत कर सकते हैं.

एयरटेल पेमेंट्स बैंक के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, गणेश अनंतनारायणन ने कहा, डिजीगोल्‍ड आसान, सुरक्षित और महत्‍व पर आधारित उत्‍पादों के हमारे नव-बैंकिंग प्रस्ताव में नया इज़ाफ़ा है. अब हमारे ग्राहक हमारे एप पर एक सुगम डिजिटल यात्रा के माध्‍यम से सोने में निवेश कर सकते हैं. हमारे पास 'सिस्‍टेमेटिक इनवेस्‍टमेन्‍ट प्‍लांस' प्रस्‍तुत करने की योजना भी है, ताकि ग्राहक नियमित तौर पर निवेश कर सकें.

सेफगोल्‍ड के एमडी गौरव माथुर ने कहा, सोना लगभग हर भारतीय की निवेश सूची का हिस्‍सा है, इसलिए इकोसिस्‍टम को ऐसे रास्‍ते इजाद करने होंगे, जो हर नागरिक को डिजिटल तरीके से सोना खरीदने और बेचने के लिये सशक्‍त करें. पिछले एक साल में सोना बचत के पसंदीदा माध्‍यम के रूप में उभरा है और हम ग्राहकों के लिए उनकी पसंद के तरीके और मूल्‍य में डिजिटल सोने के उत्‍पादों की श्रृंखला की पेशकश करने के लिये एयरटेल पेमेंट्स बैंक के साथ भागीदारी कर गर्व का अनुभव कर रहे हैं.

सेफगोल्‍ड डिजिटल सोने का अग्रणी प्रदाता है, जो ग्राहकों के लिए अंतरराष्ट्रीय गुणवत्‍ता मानकों पर खरे 24 कैरट सोने की पेशकश करता है. यह सेबी में पंजीकृत एक ट्रस्‍टी की सुरक्षा के साथ इंटरनेट की सुविधा और गति को संयोजित करता है और सोने की पारंपरिक खरीदारी की तुलना में ज्‍यादा सुरक्षा देता है.

एयरटेल पेमेंट्स बैंक ने हाल ही में आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार अपनी बचत जमा सीमा को बढ़ा कर दो लाख रुपए तक कर दिया है. अब वह 1 से 2 लाख रुपए के बीच डिपॉजिट पर 6 प्रतिशत की बढ़ी हुई ब्‍याज दर ऑफर करता है.

बुधवार, 12 मई 2021

ईद उल फित्र की नमाज ईदगाह या मस्जिद में नही बल्कि अपने अपने घरों में ही अदा करे- शादाब

गोण्डा। बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा जिलामंत्री मोहम्मद शादाब खान ने लोगों से अपील करते हुए कहा ईद की नमाज ईदगाह या मस्जिद में नही बल्कि अपने अपने घरों में ही अदा करे।जिलामंत्री ने कहा कि वर्तमान समय में लॉकडाउन लागू है। ऐसे में सभी लोग अपने घरों पर रहे।ईद का पर्व घरों में रहकर मनाएं।हम सब लोग इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानते है देश मे वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर बहुत तेजी के साथ फैली हुई है।केन्द्र व प्रदेश सरकार हर स्तर पर कोरोना से लड़ने का प्रयास जारी है। हम सब को प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करना है। पिछले साल में भी हम सब ने अपने-अपने त्योहारों को घर मे ही रहकर मनाया था। इस बार भी वैश्विक महामारी कोरोना को देखते हुए ईद उल फित्र का त्योहार घर मे ही रहकर अपने परिवार के साथ मनाएंगे।एक दूसरे को बधाई मिलकर न दें बल्कि सोशल मीडिया के माध्यम से पर्व की बधाई देकर खुशी का इज़हार करे। प्रशासन भी लगातार घरों में ही नमाज अदा करने की अपील कर रहे है।

मंगलवार, 11 मई 2021

कैदी रिहा: कोरोना कहर के बीच 50 से अधिक बंदी अंतरिम जमानत पर रिहा

गोण्डा: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की हाई पावर कमेटी और उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दृष्टिगत प्रभारी जनपद न्यायाधीश, गोण्डा परवेज अहमद के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, गोण्डा की सचिव सुषमा ने जानकारी दी है. उन्होंने बताया, जिला कारागार गोण्डा से प्राप्त 104 अंतरिम जमानत संबंधी प्रार्थना पत्र, जिनमें बंदियों की अधिकतम सजा 7 साल तक है, उन पर विचारोपरान्त कुल 79 प्रार्थना पत्रों का निस्तारण कर 60 दिन के अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया है.
कोविड- 19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए 6 मई को अनुपम शौर्य, प्रथम अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, गोण्डा और अभिषेक कुमार सिंह, पंचम अपर सिविल जज (जू0डि0), गोण्डा द्वारा कुल 46 विचाराधीन बन्दी, 8 मई को विवेक कुमार सिंह, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (पूर्वोत्तर रेलवे), गोण्डा एवं स्वप्निल पाण्डेय, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम, गोण्डा द्वारा कुल 29 विचाराधीन बन्दी और दिनांक 10 मई को शालीन मिश्रा, न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वितीय गोण्डा द्वारा कुल चार विचाराधीन बन्दियों के अन्तरिम जमानत के प्रार्थना पत्रों का निस्तारण कर रिहा किए गए. साथ ही यह भी निर्देश दिया गया, निर्धारित समयावधि पूर्ण होने पर वे सक्षम न्यायालय में आत्म समर्पण करेंगे, अन्यथा उनके साथ विधिक कार्यवाही की जाएगी.

Panchayat Election: चुनावी रंजिश को लेकर हुई मारपीट के मामले में 9 आरोपी गिरफ्तार


मसकनवा (गोंडा). छपिया थाना पुलिस ने चुनावी रंजिश को लेकर हुई मारपीट के मामले में कार्रवाई की है. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
एसओ छपिया राकेश कुमार सिंह ने बताया, छपिया थाना क्षेत्र के बुधई बनकट ग्राम पंचायत में सोमवार की सुबह चुनावी रंजिश को लेकर दो पक्षों में जमकर मारपीट हुई थी, जिसमें दोनों पक्षों की तहरीर पर 28 लोगों के खिलाफ मारने-पीटने और जान से मारने की धमकी देने तथा आपदा प्रबंधन अधिनियम व महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था.

मामले में आरोपी नकुल, झिनकाऊ, संजय कुमार यादव, विजय कुमार यादव, परशुराम, रामजी यादव, हरीराम, श्याम जी यादव, राम बुझावन निवासी बुधई बनकट को उनके गांव से गिरफ्तार किया गया है. गिरफ्तार करने वाली टीम में उप निरीक्षक डोरीलाल गंगवार, उप निरीक्षक अरुण कुमार गौतम, कांस्टेबल अजय निषाद, अखिलेश कुमार राय, मनीष कुमार और सचिन यादव शामिल रहे.

सोमवार, 10 मई 2021

पंचायत चुनाव: चुनावी रंजिश एंव आपसी विवाद को लेकर दो पक्षों में हुई मारपीट,11 घायल


मसकनवा-गोण्डा। चुनावी रंजिश एंव आपसी विवाद को लेकर दो पक्षों में हुई मारपीट में लगभग एक दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल। मारपीट में घायल व्यक्तियों को उपचार के लिए सीएससी छपिया लाया गया। जहां मरहम पट्टी करने के बाद डॉ ना होने के कारण घायल एवं पुलिस टीम दोपहर को बैरंग वापस लौटना पड़ा। सोमवार की सुबह बुधई बनकट गांव में प्रधानी चुनाव रंजिश को लेकर दो पक्षों में जमकर लाठी-डंडे चले जिसमें दोनों पक्षों के 11 लोग घायल हो गए।
एक पक्ष के हरीराम व दूसरे पक्ष के विजय यादव ने  पुलिस में तहरीर दी है। वही पुलिस द्वारा शाम को घायलों को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र छपिया ले जाकर मेडिकल कराया गया। घायलों में एक पक्ष के रामजी यादव पुत्र हरिराम, हरीराम पुत्र दुःखी, श्याम जी यादव पुत्र हरिराम, राम बुझावान पुत्र सोमई, राम लुटावन पुत्र सोमई, व संजय यादव पुत्र झिंकाउ, विजय यादव पुत्र गोने यादव, नकुल यादव पुत्र बैशाखू यादव,अजय यादव पुत्र झिनकाउ,बैशाखू यादव पुत्र राम दास, घायल हो गए। जिसमें एक पक्ष के बैशाखू व एक पक्ष के राम लुटावन को गोण्डा रेफर कर दिया गया। एसओ राकेश कुमार सिंह ने बताया कि दोनों पक्षों की तरफ़ से तहरीर मिली है। जिसमें आपदा प्रबंधन एवं कोविड-19 उलंघन  सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर लिया गया है। शीघ्र ही गिरफ्तारी की जा रही है। मामले की छानबीन जारी है।

रविवार, 9 मई 2021

मदर्स डे विशेष: घर मे सबसे छोटा था मेरे हिस्से माँ आई ---'

माई-------

भाइयो में छोटा होने के कारण लगता है उपर्युक्त  पंक्तियां हमको ही परिभाषित करती हैं।'
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 घर पहुँचने पर ----' खाना ले आयीं !' ? 
 माई का संवाद कानों में मिसरी घोल देता। 

कमरे से एक पेठा , समय- समय
 पर एकाध सेव,आम के मौसम में रात में जग कर बगीचे से कुछ आम लेकर अलग से रख लेना।  जिंदगी के हर छोटे बड़े दुःस्वारियो पर पैनी नजर रखना।।

माई के  रोजमर्रा की जिंदगी का यह भी एक छोटा सा हिस्सा है।
माई को हमलोगों के बच्चे भी माई ही कहते है। गांव के बड़े बुज़ुर्ग  सुदामा की माई और महिलाएं  मलकिन कहती  है।
पढ़ी-लिखी नही ,समझदार  बहुत है।
उम्र यही कोई पचहत्तर के आस -पास / घर में आज से  पांच साल पूर्व तक मिट्टी के बर्तन में दही जमाने की इस्पेसलिस्ट थी , दीपावली में मिट्टी के जले हुए दिए से काजल बनाने की कला और खासकर बच्चो की आंखों में लगाकर परिवार को एकजुट रखना माई के ही बस की बात है।

 घास-फूस के मड़ई के ऊपर  लौकी -कोंहड़ा करेली आदि तो आज भी पैदा करती है। गांव में लौकी कोहड़ा जरूरत मन्द को दे देना आम बात है ।  अपने उत्पादों से जिंदगी चलना माई का खास हुनर था।
गोईठा की आग अहरा पर मकई-भुट्टा और चने का हो रहा ,  मौसम के हिसाब से रिकवच आदि बनाना या बनवा देना ।घर के बड़े बुजुर्गों बच्चो के लिए चना चबेना-भेली -राब का बर्ष भर का इंतजाम।घर मे कभी मंदी नही आती 
उनका व्यवहारिक तजुर्बा ही ऐसा है।
वर्षो पहले घर के जांता में गेहूं पीसना ,ओखल में घण्टो  धान - कूटना घर की महिलाओं के साथ । ये आम बात थी।
त्योहारों को लेकर संजीदा !! घर के देवी देवताओं को लेकर तब भी सतर्क आज भी सतर्क। संगम -गंगासागर हरिद्वार कई बार जा चुकी हैं वो भी पूरे टीम के साथ।
माई हादिक भी है जब चिकित्सा की  सुविधा आम नही थी तो  गांव में बच्चों का प्रसव  माई ही कराती थी।पिता जी नाराज होकर कहते थे कि इ एम बी बी एस की है। जब सामान्य समय के अलावा, मध्य रात्रि में गांव की महिलाएं आती  और कहती कि ये बाबू मलकिन कहां बानी ?  हमलोगों को समझने में देर नही लगती कि गाँव मे मेहमान आने वाला है।

गर्मी में आज भी रस - भूजा लेकर तैयार रहती है उन पथिको के ख़ातिर जो आराम के लिए बागीचे में रुक जाते है।

पिताजी के न रहने के बाद माई बहुत दुःखी रहने लगी है । शरीर गल गई है । आज- कल की औरतों से लगभग अनमनी सी रहती है।

धान की रोपनी -सोहनी गोबर गोइठा,धान -गेंहू  के कुटाई -पिसाई  तक का काम 12-14 घण्टे  । 
आज भी अरहर ,सरसो ,तीसी,  आलू, प्याज अदरक लहसुन  आदि माई ही पैदा करती है ।मना करने पर कहती है काम जीवन पर्यंत करना चाहिए नही तो घर का बरकत रुक जाएगी । चाची लोगो के साथ माई का गजब का सामंजस्य वन्दनीय है।

हमने महसूस किया कि छोटे चाचा के साथ माई का पुत्रवत ब्यवहार तब भी था आज भी है। माई, चाचा के लिए दूध-दही छुहाड़ा बादाम का विशेष इंतजाम करती थी यथा अपने हाथ से बादाम पीस कर पीलाना।

पिता जी स्वभाव से बड़े शख्त थे।वो सन साठ के दशक के स्नातकोत्तर थे संस्कृत साहित्य के अच्छे जानकार दूसरी तरफ माई निरक्षर।
पिता जी अपने किसी फैसले में माई को सरीक नही किये।तालमेल तो ठीक थे लेकिन विचारो में बड़ी असमानता।

 माता -पिता जी बुआ को बहुत मानते थे अन्य वजहों में एक वजह यह भी था कि फुआ एकलौती पुत्री थी | असमय उनके सिर से उनके माता का साया उठ गया था नतीजन माई ही फुआ को डोली में बैठाकर विदा की थी।फुआ एक  सम्पन्न घराने में ब्याही गयी है फिर भी फुआ की बीमारी आदि की खबर सुन कर तड़प उठती है।

मामा के गांव की 'रधानी वाली फुआ '  गजब का सामंजस्य  उनका मामा के गांव में भी। माई सम्बन्धो को जीने की महारथी है। 

माई जिंदगी के छोटे छोटे हिस्से को लेकर खबरदार रहती है यकीनन जिंदगी द्वारा दिये गए हर रोल में फिट बैठती है।
अपने स्नातक के दिनों में माई के न चाहने पर एक सोने का सिक्का लेकर बेच दिया था जब समझ बढ़ी तो अपराध बोध हुआ लेकिन माई  ने बेहद दार्शनिक अंदाज में जीवन के क्षणभंगुरता को समझाते हुए हमारे मन के मैल को मिटा दिया।

माई की ताकत कम हो गईं है लेकिन काम करने की वही जिजीविषा।
कमोवेश सभी माई एक जैसी ही होती है।

जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा गुजारने के माई अब पांच रुपये का पच्चीस ग्राम आलू का चिप्स खरीद कर लाती है और कहती है__' ये बाबू जिज्ञासु हो---'निशांत के दे द।। बड़ी भोली है , नही समझ पाती है कि मार्केट की ठगबुद्धि ने  आलू दो सौ  रुपये किलो कर दिया।
 जिये जा रही है बनते बिगड़ते माहौल में नाती-नातिन के शादी- विवाह का फिक्र लिए।
ऐसी कथाएं और लोग मिथकीय पात्र होते हैं जिनका लोग आस्था वश पूजन करते है परंतु माई प्रत्यक्ष उदाहरण है जो किवदंतियों से परे है।

आदर व्यक्त करने के लिए शब्द नही है मेरे पास----
भावुकता हावी हो गई है।...
✍️ योगेन्द्र यादव (जिज्ञासु) गोरखपुर

संपादकीय विशेष: जिंदगी का एक ही पासवर्ड है, ऑक्सीजन

योगेंद्र यादव (जिज्ञासु) गोरखपुर

अस्पताल खोलो ,अस्पताल खोलो चिल्लाने वालो सौ अस्पताल न खुलवा कर मौहल्ले मौहल्ले के बंद पडे़ अखाडे़ खुलवा दो ,दंड बिट्ठक खेलो, फेफड़ों में हवा भरना सीखो,
बच्चों को मैदान में पुराने खेल खेलने दो फिर देखो कौन बीमार पड़ता है ।
     पुराने जमाने में डाक्टर घर पर आता था।बचपन में झोले में दवाइयां लेकर डॉक्टर घूमते थे।ऐसा हमने देखा था। एक ही इंजेक्शन से सुई लगती थी।बहुत लोग बताते थे - 'हमने पूरी जिंदगी इंजेक्शन नहीं लगवाई।'
हम पिछले दिनों बीमार थे जनपद के एक प्रसिद्ध चिकित्सक दवाइयों से ज्यादा मास्क पहनने पर जोर दे रहे थे।मास्क नाक के नीचे क्या उतर गया उन्होंने 15-20 वर्षों की पढ़ाई का लैक्चर दे दिए।भला बताए मास्क से कॉरोना का क्या मतलब।और मतलब है भी तो मास्क मुंह के लिए है न। आपदा को अवसर के रूप में देखने वालो को लानत भेजते हैं ।जो जिम्मेदार है उनका दायित्वबोध है कि हालात से निपटने के लिए सर्वोत्तम कदम उठाए न कि मास्क मास्क का खेल खेलें और आम लोग उसका सहयोग करें और गाइड लाइन का पालन करें ।
एक पेड़ कटने पर दो पेड़ लगाने का कानूनी प्रावधान हो।
खैर ज्यादा सोचना भी बुद्धि की निरंकुशता है।
 गर्भ में पल रहे शिशु से लेकर जान जाने तक बीमारियों का खौफ। अब तो गर्भ धारण भी एक बीमारी हो गई है
पेट में बच्चा आते रूटीन चेक अप।ऐसा क्यों हुआ?
सीधा सपाट उत्तर हमने बड़े होने के ढोंग में नैसर्गिक और प्राकृतिक जीवन छोड़कर ,स्टाइलिश जिंदगी को तरजीह दी जहां हम पैसे वाले,बाबू साहब ,भट्ठा मालिक,पेट्रोल पंप मालिक और न जाने कौन कौन से विशेषण से नवाजे गए।
     अखाडे़ जाने में शर्म आती है , फेफड़े नहीं फुलाओगे तो अस्पताल ही तो जाओगे ,मोटी रकम चुकाओगे हाथ में खुची सुई लेकर शान से बताओगे एवन हास्पिटल से आया हूं 25000 दिन का चार्ज था।                                     
     आज की स्थिति का सबसे बडा़ कारण है संयुक्त परिवार खत्म होना। इससे खानपान संयमित व संतुलित होता था । घर के अचार मुरब्बे होते थे ।
बीमारियों से लडने की ताकत होती थी।समूह से डर नहीं होता।
एकांत से हार्ट अटैक और तमाम अवसाद होते हैं।
अब तो तन्हाई में रात गुजारने की आदत हो गई है जब बीमारी की हालत में रातें काली और भयावह हो जाती हैं।पड़ोसियों का कॉन्सेप्ट लगभग ख़तम हो गया है।
    अब शादी होते ही घर से अलग और सैर सपाटे चालू । खाना कौन बनाये तो होटल,पिज्जा, बर्गर, छोले भटूरे, डोसा , इढली, पैकेट बंद खाना शुरू ।
     ये पेट तो भर सकते हैंं जीभ को स्वाद दे सकते हैं पर शारीरिक ताकत नहीं दे सकते ,और धीरे-धीरे बीमारी का घर खुद तैयार करते हैंं ।
     अब औलाद पैदा हुई तो चुम्मा ले लेकर सबसे अच्छे पैरेंट्स बनकर दिखाना चाहेंगे ,मुन्ना को कोई तकलीफ न हो पपोल पपोल कर रखेंगे ,अब दो साल में प्राइवेट स्कूल में नाम लिखवा देंगे क्योंकि पैसा है पावर है फीस भर देंगे , सरकारी स्कूल की ऐसी की तैसी,जबकि खुद सरकारी स्कूल में पढे़ थे ।
     बच्चा मोम डैड बोलेगा हम खुश होंगे ,बच्चा अंग्रेजी पढे़गा तो रामायण , महाभारत ,गीता क्या है ? कैसे जानेगा और बच्चा स्ट्रांग कैसे बनेगा ।
      अरे याद करो वो गुल्ली-डंडा का खेल , हॉकी, गोली- गुच्ची पकड़मपकडाई, लुकाछिपाई,  खो-खो जैसे न जाने कितने ही उछलकूद वाले खेल, खेल कर हमारे बुजर्ग 90-100 साल तक जीते थे।जबकि आज कल के बच्चे 50 साल मुश्किल से निकालेंगे ।
     अब घर में कूलर एसी चाहिए सारे खिड़की दरवाजे बंद अब शुद्ध वायु कहां से मिले ? कबूतरनुमा दड़बों जिसे फ्लैट कहते हैंं उसमें चौथी पांचवीं मंजिल पर रहेंगे जहां न सूर्य का प्रकाश आयेगा न हवा, बंद बंद रहेंगे।अब आफिस से घर 10 किलोमीटर दूर तो घर पहु़ंचने का टेंशन इसलिये बैंक से कर्ज लेकर कार खरीद ली।छोटे मोटे काम के लिये मोटर सायकल ले ली । बस फ्लैट गाडी़  के कर्ज में बंध गये उसका टैंशन । 
     शरीर को तंदरुस्त के लिए पैसे देकर जिम जा कर बन्द कमरे में मशीनों पर तो कूदने में अपनी शान समझते हो हेल्थ टोनिक के नाम पर महंगी दवाई (केमिकल-जहर) खाते हो ,लेकिन सुबह- सुबह घर के नजदीक होने पर भी पार्क में पैदल जा कर ताजी हवा के साथ घूमना और वर्जिश करना मंजूर नही ।
 थोड़ा सा कुछ भी होने पर हजारों रुपये की टेस्टिंग व दवाइयां खा लेंगे लेकिन दादी-नानी के बताए नुस्खे मंजूर नही।ऐसे में आदमी जी कहां रहा है रोज रोज मर ही तो रहा है ।
ये कोरोना का काल  जीते मरते लोग हवा हवाई दावे ,अस्पतालों में लगती भीड़ सिलेंडर वाला ऑक्सिजन।पेड़ - पौधों को काट कर लेन फोर लेन,सिक्स लेन उस पर धुआ छोड़ती गाडियां।जल्दी पहुंचने की होड़।यह पीढ़ी तो तबाह हो गई बची तबाही अपने आने वाली नस्लों को देंगे यही हाल रहा तो निःसंदेह एक बंजर भारत छोड़कर जाएंगे जहां लोगो के पीठ पर ऑक्सिजन का सिलेंडर होगा।
अभी भी वक़्त है अपनी आवश्यकता कम करो ,दर्जन भर जींस पैंट शर्ट, दो दर्जन टी शर्ट पहनने वालो दिन के हिसाब से जूते पहनने वालों रहम करो ।अपनी विदेशी जीवन शैली क्षदम जीवन से परहेज़ करो।जीवन में सरलता लाओ।बड़े होने के चक्कर से बचो।
लौट चलो वही जहां जीवन था मस्ती थी।भाई बन्धु थे। गांव गिराव और खेत - खलिहान था।सुकून था।मौज था।
चांद पर ऑक्सिजन खोजने वालो। यहीं ऑक्सीजन है उसे बचाओ क्यो कि जिंदगी का एक ही पासवर्ड है ऑक्सिजन।

शनिवार, 8 मई 2021

गिरफ्तार: छेड़खानी करने के आरोप में दो को जेल

छपिया-गोण्डा: पुलिस ने छेड़खानी करने तथा विरोध करने पर मारने पीटने व जान से मारने की धमकी देने वाले दो अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है। एसओ छपिया राकेश कुमार सिंह ने बताया की पुलिस अधीक्षक गोंडा व क्षेत्राधिकारी मनकापुर के निर्देश पर उप निरीक्षक कन्हैया दीक्षित ने अरविंद पुत्र भारत व अर्जुन उर्फ राहुल पुत्र रामसुरेश निवासी चांदारत्ती को उनके गाँव से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किये गये अभियुक्तों पर मुकदमा दर्ज कर न्यायालय रवाना कर दिया गया है।

दर्दनाक हादसा: मंदिर शौचालय निर्माण के दौरान, हाईटेशन करेंट की चपेट में आने से मजदूर की मौत

छपिया- गोण्डा। स्वामिनारायण मंदिर में शौचालय के निर्माण कार्य के दौरान हाईटेशन करेंट की चपेट में आने से एक मजदूर की मौत हो गई और एक गंभीर रूप से झुलस गया।जिसे उपचार के अयोध्या भेजा गया है। मंदिर के महंत स्वामी देव प्रकाश स्वामी ने घटना की सूचना पुलिस को दी।मौके पर 
पहुंची पुलिस टीम ने शव को कब्जे में ले लिया। मंदिर परिसर में शौचालय का निर्माण कार्य चल रहा था। शनिवार की सुबह मंदिर में निर्माण कार्य चल रहा था। हाईटेशन करेंट की चपेट में आने से मजदूर अशोक कुमार पुत्र मोहन भाई जांबिया निवासी विराटनगर थाना कपुरदार जिला सूरत गुजरात उम्र 45 वर्ष की मौत हो गई। एक मजदूर मोहन पुत्र रजिया निवासी राजस्थान झुलस गया।उपचार के लिए अयोध्या भेजा गया। मंदिर महंत देव प्रकाश स्वामी ने तहरीर देकर घटना की सूचना दी।महंत स्वामी की तहरीर पर शव को कब्जे में लेकर पंचायत नामा की कार्यवाही कर पोस्टमार्टम हेतु भेजा दिया गया। मामले की जांच की जा रही है।

16वां अयोध्या फिल्म फेस्टिवल संपन्न, ऐतिहासिक रहा आयोजन

  अवाम का सिनेमा - कई देशों की फिल्मों का प्रदर्शन - अन्य कई कार्यक्रम भी हुए आयोजित अयोध्याः काकोरी एक्शन के महानायक पं. राम प्रसाद ‘बिस्म...